CM Chandrababu Naidu: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने नवविवाहित जोड़ों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की तो कई तरह के सवाल उठने लगे है। चंद्रबाबू नायडू (CM Chandrababu Naidu) ने बीते दिन बढ़ती उम्रदराज आबादी के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए दक्षिणी राज्यों में नवविवाहित जोड़ों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात कही थी। दावा किया गया इससे दक्षिण में युवा आबादी को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
चंद्रबाबू नायडू के इस बयान को अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टॉलिन (Tamil Nadu CM MK Stalin) का साथ मिला है। एसके स्टॉलिन ने नवविवाहित जोड़ों से अपील की है कि उन्हें 16 तरह की संपत्ति के बजाय 16 बच्चे पैदा करना चाहिए। चंद्रबाबू नायडू और एमके स्टॉलिन (MK Stalin) द्वारा जनसंख्या वृद्धि पर जोर देने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसा करने पर दक्षिणी राज्यों में मुस्लिमों की आबादी बढ़ेगी? क्या इस कदम से हिंदु-मुस्लिम संख्या समीकरण प्रभावित होगा? ऐसे में आइए हम आपको सभी संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं।
CM Chandrababu Naidu के अपील से क्या दक्षिण में प्रभावित होगा हिंदु-मुस्लिम समीकरण?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (CM Chandrababu Naidu) के बाद तमिलनाडु सीएम एमके स्टॉलिन (CM MK Stalin) ने दक्षिणी राज्यों में जनसंख्या वृद्धि पर जोर दिया है। दावा किया जा रहा है कि ऐसा करने से दक्षिणी राज्यों में युवा आबादी को बढ़ावा मिल सकेगा। मुख्यमंत्री स्टॉलिन और चंद्रबाबू नायडू द्वारा जनसंख्या वृद्धि की अपील करने के बाद ये भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या इससे दक्षिण में हिंदु-मुस्लिम समीकरण प्रभावित होगा?
बता दें कि भारत में आखिरी बार सांख्यिकी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। 2011 में हुई जनगणना की मानें तो तब देश की कुल आबादी 121.08 करोड़ थी। वहीं मुसलमानों की आबादी 17.22 करोड़ होने की बात कही गई जो कि कुल आबादी का 14.2 फीसदी था। वहीं 2001 से 2011 के बीच हुई जनगणना में देश की कुल आबादी 102.8 करोड़ होने की बात सामने आई जिसमें मुसलमानों की 13.81 करोड़ बताई गई थी जो कि कुल आबादी का 13.43 फीसदी था।
देश के दक्षिणी राज्यों की बात करें तो वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक आंध्र प्रदेश हिंदु बाहुल्य राज्य है। 2011 की सांख्यिकी के अनुसार आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में हिंदुओं की आबादी 88.46 फीसदी थी। वहीं मुसलमानों की आबादी 80.82 लाख थी जो कि कुल 8.46 करोड़ का छोटा हिस्सा मात्र था। तमिलनाडु (Tamil Nadu) की बात करें तो वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार राज्य में कुल आबादी 7.21 करोड़ थी। इसमें 87.58 फीसदी (लगभग 6 करोड़) हिंदु, 6.12 फीसदी ईसाई (44.18 लाख) और 5.86 फीसदी मुस्लिम (42.29 लाख) थे।
दक्षिणी राज्य केरल (Kerala) की बात करें तो वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार, केरल की कुल जनसंख्या लगभग 3.5 करोड़ थी। इसमें 26.56% आबादी (करीब 90 लाख) मुसलमान थे। तेलंगाना (Telangana) की बात करें तो 2011 में हुई जनसंख्या के अनुसार राज्य में 84% हिन्दू, 12.4% मुस्लिम और 3.2% सिक्ख, ईसाई और अन्य धर्म के अनुयायी बताए गए थे।
2011 में हुई जनसंख्या के अनुसार ये कहा जा सकता है कि दक्षिण में जनसंख्या वृद्धि पर जोर देने से हिंदु-मुस्लिम आबादी समीकरण पर कुछ खास असर नहीं हो सकेगा।
क्यों उठे सवाल?
सीएम चंद्रबाबू नायडू (CM Chandrababu Naidu) और एमके स्टॉलिन (CM MK Stalin) द्वारा जनसंख्या वृद्धि पर जोर देने के बाद सवाल उठे हैं कि क्या इस अपील से दक्षिणी राज्यों में हिंदू-मुस्लिम समीकरण प्रभावित होगा? ऐसा इसलिए पूछा जा रहा है कि क्योंकि पूर्व में कई बार मुस्लिम समुदाय के प्रजनन दर को लेकर कई तरह के दावे किए जा चुके हैं।
भारत मे आम धारणा है कि मुसलमान समुदाय ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। पीएम मोदी की बात करें तो उन्होंने राजस्थान के एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि “कांग्रेस उन लोगों को देश के संसाधन बांटना चाहती है जो “घुसपैठिए” हैं और जिनके “ज्यादा बच्चे है।”
दावा किया गया कि ये शब्द मुसलमान समुदाय को संबोधित करने के लिए थे।” इसके अलावा बीजेपी, आरएसएस और वीएचपी जैसे हिंदुवादी संगठनों से जुड़े लोग बढ़ती जनसंख्या पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। यही वजह है कि इस तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं।