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Devendra Fadnavis vs Eknath Shinde: 132 सीट जीतकर भी BJP क्यों है साइलेंट? महायुति का Maharashtra में भविष्य क्या?

Devendra Fadnavis vs Eknath Shinde: राजनीतिक महत्वकांक्षा कहें या रणनीति? पर कुछ तो है जो BJP महाराष्ट्र में 132 सीटें जीतकर भी साइलेंट मोड में है। सवाल ये है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर छिड़े घमासान का निष्कर्ष क्या होगा? महाराष्ट्र में महायुति का भविष्य क्या होगा? देवेन्द्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की दावेदारी के बीच इस तरह के तमाम सवाल पूछे जा रहे हैं जिसका जवाब देने की कोशिश की जाएगी।

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Devendra Fadnavis vs Eknath Shinde
फाइल फोटो- Devendra Fadnavis और Eknath Shinde

Devendra Fadnavis vs Eknath Shinde: ‘सियासत की बुलंदी पर यकीं इतना नहीं करतें। ये कुर्सी हैं बदलने में जरा सी देर लगती है।’ ये पंक्तियां महाराष्ट्र (Maharashtra) में सत्ता के दावेदारों के ताजा हालात को बयां कर रही हैं। चुनावी नतीजे आ चुके हैं और सामने है सत्ता (मुख्यमंत्री) की कुर्सी। इस कुर्सी पर बैठने के लिए BJP, शिवसेना (शिंदे) और NCP (AP) के अलग-अलग नेता आतुर हैं। हालांकि, खुलकर कोई अपनी इच्छा प्रकट नहीं कर पा रहा है।

दावेदारों के बदले उनके समर्थकों का पक्ष सुर्खियों में है। इसमें देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और एकनाथ शिंदे के नाम की चर्चा प्रमुखता से हो रही है। BJP अकेले अपने दम पर 132 सीट जीतकर भी साइलेंट मोड में है। वहीं कोंकण, मराठवाड़ा समेत महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में अच्छा कर चुकी एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की शिवसेना के नेता सक्रिय नजर आ रहे हैं। सवाल है कि क्या मुख्यमंत्री के लिए महायुति में घमासान छिड़ा है? यदि मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर महायुति (Mahayuti) में बात नहीं बनी तो गठबंधन का महाराष्ट्र में भविष्य क्या होगा? आइए हम आपको सभी चर्चाओं और कयासबाजी के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं।

132 सीट जीतकर भी Devendra Fadnavis की दावेदारी पर क्यों साइलेंट है BJP?

राजनीति में महत्वाकांक्षा बड़ी चीज है। राजनेताओं के भीतर महत्वाकांक्षा होनी ही चाहिए ऐसा कई दफा कहा जा चुका है। इसी ‘महत्वाकांक्षा’ के इर्द-गिर्द इन दिनों महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियासत घूम रही है। यही वजह है कि 132 विधानसभा सीटों को जीतकर भी BJP साइलेंट मोड में है। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी ने पूरी ऊर्जा झोंक रखी है। शिवसेना (शिंदे गुट) का पक्ष है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व में लड़ा गया। एकनाथ शिंदे की नीतियों ने महायुति के पक्ष में माहौल बनाया। ऐसे में सीएम की कुर्सी एकनाथ शिंदे को मिलनी चाहिए।

कयासबाजी और चर्चाओं से इतर बीजेपी अभी साइलेंट मोड में है। देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की दावेदारी के बीच भाजपा में आंतरिक चर्चाओं का दौर जारी है। 2019 में सीएम कुर्सी हासिल करने से चूकी बीजेपी अबकी बार कोई गलती नहीं करना चाहती। यहि वजह है कि परिणाम जारी होने के तीन दिनों बाद भी महामंथन का दौर जारी है। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने महायुति (Mahayuti Alliance) को बड़ा जनादेश दिया है। ऐसे में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना भी उनके लिए बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि बीजेपी सोच-समझ कर और फूंक-फूंक कर अपने कदम रख रही है।

Maharashtra में महायुति गठबंधन का भविष्य क्या?

विधानसभा चुनाव (महाराष्ट्र) के परिणाम आ चुके हैं। इसके तहत महायुति को स्पष्ट जनादेश मिला है। हालांकि, सीएम फेस को लेकर जद्दो-जहद जारी है। पूछा जा रहा है कि महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन (Mahayuti Alliance) का भविष्य क्या होगा? बता दें कि महायुति गठबंधन की डोर फिलहाल मजबूत हाथों में है। बीजेपी अपने सियासी संभावनाओं को साधने के लिए त्याग भी करती है और अन्य दलों की महत्वकांक्षा का भी ख्याल रखती है। ऐसे में निकट भविष्य में महायुति में दरार पड़ने या गठबंधन टूटने की संभावना न के बराबर नजर आ रही है।

महायुति की दो कड़ी अजित पवार (Ajit Pawar) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की मराठा वोटर्स पर मजबूत पकड़ है। वहीं बीजेपी (BJP) ओबीसी व अन्य वर्गों को मजबूती से साधती है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में माहौल महायुति गठबंधन के पक्ष में बन सका। सभी समीकरण और हालिया स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में महायुति का भविष्य अच्छा नजर आ रहा है। हालांकि, सियासत संभावनाओं का खेल है। ऐसे में यहां किसी भी संभावना पर जोर नहीं दिया जा सकता। वास्तविकता क्या होगी और समीकरण कैसे बनेंगे इसके लिए उचित समय का इंतजार करना ही एकमात्र विकल्प है।

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