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युद्ध में निवाला बने Ukraine के बांध से आई बाढ़ की भयानक त्रासदी, Russia के सामने UN भी हुआ बेबस

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Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के जारी रहने से हालात और खराब होते जा रहे हैं। इन्हीं हालातों के बीच रूस ने हाल ही में यूक्रेन के खेरसॉन प्रांत के नीपर नदी पर बने विशालकाय बांध कखोवका को विस्फोट कर उड़ा दिया था। जिसके बाद यूक्रेन के इस प्रांत में एक बड़ी आबादी के सामने मानवीय संकट खड़ा हो गया है। जिसके बाद एक बड़ा इलाका भयानक बाढ़ में डूब गया है। बाढ़ के पानी घिरे लाखों लोगों के सामने खाने-पीने के सामान, पीने का पानी का संकट है। कई लोग लापता है और जहां तहां पानी में शव तैर रहे हैं। इस भयानक हालातों में यूएन के उच्चाधिकारियों ने दुनिया के देशों को जानकारी दी है। इस घटना के लिए यूक्रेन ने जहां रूस को जिम्मेदार ठहराया है तो रूस ने इस घटना में अपना हाथ होने से इंकार किया है।

यूएन अधिकारियों ने लिया जायजा

यूएन की एक टीम बाढ़ की विभीषिका में घिरे यूक्रेन का जायजा लेने पहुंची। जिसका नेतृ्त्व अंडरसेक्रेटरी मार्टिन ग्रिफित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाईड्रोलिक डैम के ढह जाने से यूक्रेन की हालत बदतर हो गई है। करीब 7 लाख लोगों के सामने पीने के लिए पानी नहीं है। हजारों मकान,खेत खलिहान तबाह हो गए हैं। एक साक्षात्कार में कहा कि “यह एक वायरल समस्या है” तबाही की ये तो एक शुरूआत भर है। बांध टूटने से सबसे बड़ा खतरा इसके नजदीक स्थित एक परमाणु संयत्र के इसकी चपेट में आने का मंडरा रहा है। यूएन का डर है कि कहीं इस बाढ़ की तबाही के साथ-साथ परमाणु रेडिएशन न फैलने का खतरा न उत्पन्न हो जाए। यूएन का कहना है कि यूक्रेनी सहायता समूहों के माध्यम से करीब 30 हजार लोगों तक मदद पहुंचा चुका है।

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यूक्रेनी राष्ट्रपति ने किया निरीक्षण

बांध टूटने की तबाही से उपजे हालातों के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति ने बाढ़ग्रस्त प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है। बता दें कि नीपर नदी पर इस समय दोनों ही देशों का नियंत्रण कायम है। जहां नीपर नदी के पश्चिमी किनारे पर यूक्रेन का कब्जा है तो दूसरी ओर पूर्वी किनारे के निचले हिस्सों पर रूस ने नियंत्रण कर रखा है। जहां सबसे अधिक मानवीय संकट है। बता दें यूक्रेन के लिए आवश्यक सिंचाई और ताजे पानी के स्त्रोत इसी रूस के कब्जे वाले खेरसॉन प्रांत में ही हैं। जो पिछले एक साल से रूस के कब्जे में है।

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