Saturday, November 16, 2024
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क्या Jharkhand के लिए Champai Soren बन सकते हैं Assam के Himanta Biswa Sarma? नतीजों के ऐलान से पहले क्यों उठे सवाल?

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Jharkhand Assembly Election 2024: उत्तर-पूर्वी राज्यों का सियासी समीकरण पिछले दशक भर में बदलता नजर आया है। विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी ने उत्तर-पूर्व के कई राज्यों में अपनी सरकार बना ली है। असम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम समेत अन्य कुछ राज्य इसके उदाहरण हैं। उत्तर-पूर्व में बीजेपी (BJP) की कमान असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) के हाथों में नजर आती हैं। फिलहाल हिमंता बिस्वा सरमा लगातार झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं।

झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2024) में हिमंता बिस्वा सरमा की सक्रियता पूर्व सीएम चंपई सोरेन के माथे पर बल लाती नजर आ रही है। यदि बीजेपी को झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत मिली तो मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे मिलेगी? क्या झारखंड के लिए चंपई सोरेन (Champai Soren) बन सकते हैं असम के हिमंता बिस्वा सरमा? इस तरह के कई सवालों पर चर्चा हो रही है। ऐसे में आइए हम आपको झारखंड के राजनीतिक संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं।

Jharkhand Assembly Election 2024- झारखंड का सियासी समीकरण

20 नवंबर को झारखंड की 38 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। पहले चरण के मतदान (43 सीट) के बाद झारखंड में कड़ी चुनावी टक्कर देखने को मिल रही है। सियासी टिप्पणीकारों की मानें तो यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA गठबंधन कड़ी टक्कर दे रही है। नतीजे किसके पक्ष में जाएंगे इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। इसके लिए 23 नवंबर का इंतजार करना होगा।

क्या Jharkhand के लिए Champai Soren बन सकते हैं Assam के Himanta Biswa Sarma?

सियासत संभावनाओं का खेल है। यहां कब क्या हो जाए इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल होता है। यही वजह है कि झारखंड में चंपई सोरेन (Champai Soren) से जुड़े एक सवाल को लेकर खूब चर्चा हो रही है। पूछा जा रहा है कि यदि NDA को झारखंड में जीत मिलती तो क्या राज्य के लिए चंपई सोरेन, असम के हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) बन सकते हैं? दरअसल, झारखंड में हिमंता बिस्वा सरमा की सक्रियता और स्थानीय नेताओं के बजाय पीएम मोदी को केन्द्र में रखकर चुनाव लड़ना, ऐसे सवालों को जन्म दे रहा है।

चंपई सोरेन और हिमंता बिस्वा सरमा में कुछ समानताएं भी हैं जो इस संभावना को बल दे रही हैं। हिमंता 2015 से पहले असम में कांग्रेस (Congress) की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रहे हैं। इसके बाद उन्होंने 28 अगस्त 2015 को कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और सर्वानंद सोनेवाल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे। 2021 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को असम में बहुमत मिला और शीर्ष नेतृत्व ने हिमंता को सीएम बनाया।

इस तर्ज पर देखें तो चंपई सोरेन के पास सियासी अनुभव है। वे JMM की सरकार में कई बार मंत्री रहे हैं। हेमंत सोरेन पर ईडी की कार्रवाई के दौरान चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि, बाद में उनसे (Hemant Soren) खफा होकर चंपई ने JMM का दामन छोड़ बीजेपी की सदस्यता ले ली थी। चंपई को बीजेपी की सदस्यता दिलाने में हिमंता बिस्वा सरमा का विशेष योगदान रहा।

टिप्पणीकारों की मानें तो यदि बीजेपी सत्ता में आई तो चंपई सोरेन को अहम पद मिल सकता है। इसकी खास वजह है उनकी स्वच्छ छवि, जनता के प्रति उनका लगाव। हालांकि, ये सिर्फ एक संभावना है और निकट भविष्य में कब क्या होगा इसके लिए तय समय का इंतजार करना होगा।

नतीजों के ऐलान से पहले क्यों उठे सवाल?

बिहार और बंगाल से सीमा साझा करने वाले झारखंड राज्य में बीजेपी स्थानीय नेताओं के बजाय केन्द्रीय नेतृत्व के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा और चंपई सोरेन (Champai Soren) से इतर कई नेताओं की दावेदारी को लेकर चर्चा की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि यदि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के बजाय अपने किसी स्थानीय नेता को आगे कर चुनाव लड़ती तो मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई जद्दोजहद नहीं होती और नाही कोई सवाल उठते। उस स्थिति में ये स्पष्ट होता कि यदि पार्टी सरकार में आई तो घोषित नेता ही राज्य का मुख्यमंत्री होगा।

हालांकि, अभी ऐसी स्थिति नहीं है। बीजेपी के पास झारखंड (Jharkhand Assembly Election 2024) में स्थानीय जननेताओं का अभाव झलक रहा है। यही वजह है कि पार्टी झारखंड में लगातार पीएम मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ की जनसभाएं करा रही है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) भी आक्रामक अंदाज में हेमंत सोरेन सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं। पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा और चंपई सोरेन भी लगातार दावेदारी पेश करते हुए पूरी ऊर्जा से चुनावी प्रचार में जुटे हैं। हालांकि, किसी भी नेता को पार्टी ने सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि यदि बीजेपी झारखंड में चुनाव जीतती है तो किस नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाता है?

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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