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Jharkhand Assembly Election 2024: Babulal Marandi की बढ़ती साख क्या Champai Soren के लिए चुनौती? यहां समझें सटीक विश्लेषण

Jharkhand Assembly Election 2024: चुनावी प्रचार-प्रसार के बीच BJP नेता और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की साख बढ़ती नजर आ रही है। इसका उदाहरण धनवार विधानसभा सीट पर बीजेपी का फोकस है। दरअसल, BJP ने अपनी पूरा ऊर्जा झोंककर बागी उम्मीदवार निरंजन राय को अपने पाले में ले लिया है जिससे बाबूलाल मरांडी की राह आसान हो सके। यही वजह है कि BJP नेता की बढ़ती साथ चंपई सोरेन के लिए चुनौती बताई जा रही है।

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फाइल फोटो- बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन

Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले तमाम तरह की कयासबाजी चल रही है। बीजेपी, आजसू, एलजेपी और जेडीयू के स्थानीय व शीर्ष नेता एक के बाद लगातार चुनावी सभा में नजर आए हैं। दावा किया गया कि पार्टी किसी भी कीमत पर सत्ता (Jharkhand Assembly Election 2024) हासिल करने से समझौता नहीं कर सकती। यही वजह है कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में लीडरशिप को लेकर एक तरह की जंग छिड़ने की खबर है। पूछा जा रहा है कि यदि बीजेपी (BJP) सत्ता में लौटी तो सीएम का सेहरा किसके सिर सजेगा? क्या बाबूलाल मरांडी के चहरे पर बीजेपी एक बार फिर विश्वास जताएगी? क्या चंपई सोरेन बीजेपी के लिए नए चेहरा हो सकेंगे?

इस तरह की तमाम संभावनाओं पर जोर दिया जा रहा है। इसी बीच बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) की चुनावी संभावनाएं बेहतर करने के लिए बीजेपी ने पूरी ऊर्जा झोंक कर बागी उम्मीदवार निंरजन राय को पार्टा में शामिल कराया है। इससे बाबूलाल मरांडी की साख बढ़ने की बात कही जा रही है। सवाल ये है कि क्या बाबूलाल मरांडी की बढ़ती साथ चंपई सोरेन (Champai Soren) के लिए एक नई चुनौती है? ऐसे में आइए हम आपको इस तरह के सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं।

Jharkhand Assembly Election 2024- Babulal Marandi की बढ़ती साख!

झारखंड बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) की साख में इजाफा होने की खबर है। दरअसल, बाबूलाल मरांडी की धनवार सीट पर मामला फंसता नजर आ रहा है। इसकी खास वजह थे धनवार (Dhanwar) से निर्दलीय चुनावी ताल ठोक रहे निरंजन राय। निरंजन राय धनवार में एक कद्दावर भूमिहार नेता के तौर पर जाने जाते है। उनकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें मनाने के लिए निशिकांत दुबे और हिमंता बिस्वा सरमा उनके घर भी गए। हालांकि, उन्होंने मानने से इंकार कर दिया।

इसके बाद समीकरण बदले। बीजेपी (BJP) को निरंजन राय के कद और बाबूलाल मरांडी की फंसती सीट का अंदाजा लग गया। अंतत: उन्हें मनाने के लिए पूरी ऊर्जा झोंक दी गई और हिमंता बिस्वा सरमा निरंजन राय को अपने हेलीकॉप्टर में लेकर अमित शाह के मंच पर पहुंचे। अमित शाह की मौजूदगी में डोरंडा मैदान (राजधनवार) में निरंजन राय (Niranjana Rai) ने बीजेपी की सदस्यता ली।

निरंजन राय के बीजेपी में आने के बाद बाबू लाल मरांडी का रास्ता साफ माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि बीजेपी के इस कदम से नाराज हुआ भूमिहार वर्ग एक बार फिर बाबूलाल मरांडी को समर्थन दे सकता है। बता दें कि धनवार सीट पर भूमिहार वोटर्स निर्णायक भूमिका में है। बीजेपी के इस कदम को बाबूलाल मरांडी की अहमियत से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। चर्चा है कि बीजेपी हर हाल में बाबूलाल मरांडी को चुनाव जीताना चाहती है ताकि यदि विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुमत मिले तो उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सके। हालांकि, ये सिर्फ कयासबाजी के आधार पर कहा जा रहा है। वास्तविकता 23 नवंबर के बाद ही पता लग सकेगा।

क्या Champai Soren के लिए चुनौती बनेंगे बाबूलाल मरांडी?

झारखंड बीजेपी में कुछ नामों पर प्रमुखता से चर्चा चल रही है। विधानसभा चुनाव 2024 के परिणाम से पहले सियासी गलियारों का माहौल गर्म है। 20 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होने के बाद 23 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा। इस दौरान देखना होगा कि झारखंड की सत्ता किसे मिलती है। यदि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए, चुनाव जीतने में सफल हुई तो चंपई सोरेन सीएम (Champai Soren) पद के लिए एक दावेदार हो सकते हैं।

चंपई की सियासी पृष्ठभूमि उनकी दावेदारी को मजबूत कर रही है। चंपई सोरेन कोल्हान टाइगर (Kolhan Tiger) के नाम से जाने जाते हैं। सराय केला के अलावा कोल्हान समेत कई इलाकों में दर्जनों विधानसभा सीट पर उनकी पकड़ है। वे पूर्व में ED द्वारा हेमंत सोरेन (Hemant Soren) पर की गई कार्रवाई के बाद सीएम भी रहे थे। फिर बाद में हेमंत सोरेन ने कमान संभाली और चंपई खफा होकर बीजेपी में आ गए। दावा किया गया कि बीजेपी की ओर से चंपई सोरेन को कुछ बड़ा प्रॉमिस दिया गया है।

इन दावों से इतर भी चंपई सोरेन की स्वच्छ छवि, मिलन सार स्वभाव, जनता से जुड़ाव आगामी समय में उनके दावे को मजबूत कर रहा है। हालांकि, बाबूलाल मरांडी को चुनाव में जीत दर्ज कराने के लिए हुई मशक्कत जरूर चंपई सोरेन के लिए चिंता का विषय हो सकती है।

झारखंड में छिड़े इस सियासी संग्राम के बीच सभी 23 नवंबर का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं। इसी दिन स्पष्ट होगा कि अगले 5 वर्षों के लिए झारखंड की सत्ता किस दल के हाथों में जाएगी। यदि सत्ता बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को मिली तो मुख्यमंत्री पद के लिए जमकर संघर्ष देखने को मिलेगा। वहीं अगर इंडिया गठबंधन बहुमत हासिल करने में सफल रहा तो उम्मीद है कि हेमंत सोरेन फिर से सीएम पद की कमान संभालें।

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