Kapil Sibal: बीते दिन यानि 12 अक्तूबर को दशहरा के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान से सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर कई विपक्षी नेताओं ने भागवत के बयान पर आपत्ति जताते हुए प्रतिक्रिया दी थी। इसी बीच राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मोहन भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
Kapil Sibal ने Mohan Bhagwat के बयान पर दी प्रतिक्रिया
मीडिया से बात करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि “मोहन भागवत ने विजयादशमी पर अच्छा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस देश में देवता बंटे हुए हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए, संत बंटे हुए हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए. यह विभिन्न धर्मों और भाषाओं का देश है. संत वाल्मिकी ने रामायण लिखी थी। और इसलिए सभी हिंदुओं को वाल्मिकी दिवस मनाना चाहिए. ऐसा क्यों नहीं हो रहा है? उन्होंने कहा कि जब तक सौहार्द बना रहेगा,
मैं उनके बयान का स्वागत करता हूं, लेकिन मैं कुछ सवाल पूछना चाहता हूं जो आपके बयान के खिलाफ काम करता है। 2014 के बाद समाज में कई विभाजन हुए हैं। लव जिहाद, बाढ़ जिहाद की अवधारणाएं हैं। आप सवाल क्यों नहीं उठाते हैं जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो लोग लोगों की नागरिकता पर संदेह करते हैं, कई विवादास्पद बयान देते हैं, तो आरएसएस सवाल क्यों नहीं उठाता”?
मोहन भागवत ने क्या कहा था?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि बांग्लादेश की घटना ने विश्व के हिंदू समाज को बता दिया की असंगठित और दुर्बल रहना अत्याचारों को निमंत्रण देता है। इसलिए हिंदुओं को संगठित और सशक्त होने की जरूरत है। (Kapil Sibal ) उन्होंने कहा कि विश्व भी शक्ति को ही स्वीकार करता है। परंतु कुछ शक्तियां जिनका निजी स्वार्थ प्रभावित होता है वह भारत को बलशाली होता देखना नहीं चाहती। गौरतलब है कि भागवत के बयान के बाद से सियासत गरमा गई थी। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भागवत की टिप्पणी की आलोचना की थी।