Kapil Sibal: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। बीते दिन यानि 15 अगस्त को पीएम मोदी ने दिल्ली के लाल किला से अपना संबोधन दिया था। संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता” देश के लिए समय की मांग है। उन्होंने मौजूदा कानूनों को ”सांप्रदायिक नागरिक संहिता” के रूप में भी वर्णित किया और उन्हें भेदभावपूर्ण बताया था। वहीं आज कपिल सिब्बल ने यूसीसी समेत कई मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरा है।
हमे नागरिकता संहिता कानून पर चर्चा करनी चाहिए
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि “भारत के इतिहास पर नजर डालें तो पिछले 10 वर्षों में देश के सर्वोच्च पद यानी प्रधानमंत्री कार्यालय से जिस तरह के बयान आए हैं, वे इतने विभाजनकारी रहे हैं कि मैं इतिहास में नहीं सोचता, इस देश के किसी भी प्रधान मंत्री ने कभी इस तरह के विभाजनकारी बयान दिए हैं जैसे हमारे प्रधान मंत्री ने दिए हैं, न केवल वे बल्कि उन राजनीतिक दलों के सदस्य भी, जिनसे वे जुड़े हैं। लेकिन अब, असम में, मुख्यमंत्री ‘लव जिहाद’, ‘बाढ़ जिहाद’ के बारे में बात कर रहे हैं।
जिस तरह के निर्देश उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा जारी किए गए थे, जब कांवरिया जा रहे थे, जिसमें कहा गया था कि मालिकों के नाम बताए जाने चाहिए। जिस तरह की बातें वे वर्षों से कहते आ रहे हैं, यह ठीक नहीं है। मेरा मानना है कि हमें नागरिक संहिता पर चर्चा करनी चाहिए, चर्चा करने में कोई बुराई नहीं है”।
लोकतंत्र की नींव को नष्ट कर दिया गया
Kapil Sibal ने आगे कहा कि “लेकिन जब आप विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और फिर समान नागरिक संहिता की बात कर रहे हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते। अब, तीन तलाक ख़त्म कर दिया गया है। उन हिंदू महिलाओं का क्या जिन्हें उनके घरों से बाहर निकाल दिया गया है? उन हिंदुओं का क्या जो बांग्लादेश से प्रवेश करना चाहते हैं? उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया गया है, क्योंकि वे सभी बंगाली हिंदू हैं। ये राजनीति है, जब आप घुसपैठ की बात करते हैं, तो इस देश में असली घुसपैठिए कौन हैं? जो लोग लोगों को मंत्री बनाकर और चुनी हुई सरकारों को गिराकर सत्ता हथिया लेते हैं। उन्होंने राजनीतिक व्यवस्था में घुसपैठ की है और लोकतंत्र की नींव को नष्ट कर दिया है”।