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मोदी जी के कच्चातीवु द्वीप के खुलासे से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर Lok Sabha Election 2024 पर कितना पड़ेगा प्रभाव, जानें डिटेल

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Lok Sabha Election 2024
PM Modi, Rahul Gandhi

Lok Sabha Election 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वर्ष 1974 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में हुई घटना के लिए कांग्रेस के खिलाफ एक नया हथियार मिल गया है। आपको बता दें कि 1974 में इंदिरा गांधी ने एक समझौते के तहत कच्चातीवु द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था, इस बात का खुलासा आरटीआई से हुआ है। वहीं इसके बाद पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के माध्यम से कांग्रेस पर हल्ला बोला। कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक चुनावी मुद्दा हो सकता है जो बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में फायदा दिला सकता है। चलिए आपको बताते है कि कच्चातीवु द्वीप का इतिहास और क्या Lok Sabha Election 2024 में इससे बीजेपी को फायदा मिलेगा।

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली! नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से Katchatheevu को छोड़ दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते! भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना 75 वर्षों से कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है”।

कच्चातीवु द्वीप का इतिहास

कच्चातीवु द्वीप का मामला फिर एक बार गरमा गया है। यह द्वीप हिंद महासागर में दक्षिण भारत पर श्रीलंका के बीच स्थित है। यहां आए दिन ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं, इस कारण यहां कोई नहीं रहता। आजादी से पहले कच्चातीवु द्वीप भारत के अधीन था और श्रीलंका इस पर अपना दावा ठोकता रहता था। आरटीआई के मुताबिक 1974 में इंदिरा गांधी ने एक समझौते के तहत इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। बता दें कि आजादी के बाद से ही श्रीलंका इस द्वीप पर हमेशा से अपना दावा करता रहता था।

भारत ने कच्चातीवु द्वीप श्रीलंका को क्यो सौपा

वर्ष 1974 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की सिरिमा आर.डी. भंडारनायके ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिससे कच्चातीवु को श्रीलंका क्षेत्र के हिस्से के रूप में मान्यता दी गई, समझौते के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के स्वामित्व में परिवर्तन हुआ। इसके अलावा शर्त यह रखी गई थी कि भारतीय मछुआरे इसका इस्तेमाल जाल सुखाने और आराम करने के लिए करते रहेंगे। हालांकि कुछ समय बाद श्रीलंका नौसेना द्वारा मछुआरों को मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई और कई बार तो श्रीलंका नौसेना ने भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया था। समय समय पर इस द्वीप भारत में लाने की मांग उठती रहती है।

लोकसभा चुनाव पर कितना पड़ेगा इस मुद्दे का प्रभाव

गौरतलब है कि बीजेपी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर नजर आ रही है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पहले जानकारी दी उसके बाद मेरठ में चुनावी रैली की शुरूआत के दौरान भी उन्होंने इस मुद्दे को लोगों के सामने रखा। वहीं कई राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इससे बीजेपी को चुनाव में फायदा मिल सकता है। वहीं भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा बांटो और राज करो और देश को तोड़ने की राजनीति में विश्वास करती है। एक न्यूज आर्टिकल ने भी छापा था कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कथित तौर पर कहा था कि उन्हें इस द्वीप पर अपना दावा छोड़ने में कोई झिझक नही है।

आर्टिकल -370

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल – 370 को खत्म किया। वहीं कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी के लिए आर्टिकल -370 का मुद्दा एक अहम मुद्दा माना जा रहा है। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में आर्टिकल -370 हटाने का जिक्र किया था। जबकि कांग्रेस ने उस वक्त उसे एक चुनावी जुमला बताया था। मालूम हो कि हाल ही में पीएम मोदी ने आर्टिकल-370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर का दौरा किया था। जहां उन्होंने कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी और शिल्यान्यास किया। हालांकि, आज भी कांग्रेस समेत कुछ दलों के लिए यह गैर-कानूनी है।

राम मंदिर का निर्माण

एक लंबे संघर्ष के बाद इस साल 22 जनवरी के अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ। गौरतलब है कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में भी राम मंदिर का जिक्र किया था। विपक्ष भी मानता है कि राम मंदिर बीजेपी के लिए एक अच्छा मुद्दा है। वहीं माना जा रहा है कि बीजेपी भी इस मुद्दे को उठाने में कोई कसर नही छोड़ेगी।

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