Maharashtra Assembly Elections 2024: महायुति गठबंधन में क्या सब कुछ सही है? क्या महायुति के सारे समीकरण उनकी योजना के अनुसार तैयार हैं? क्या महायुति की अहम कड़ी अजित पवार (Ajit Pawar) के मन में कुछ और चल रहा है? ये सारे सवाल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2024) के लिए जारी प्रचार-प्रसार के बीच उठ रह हैं।
सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या Mahayuti में दरार के संकेत से मतदान पर असर पड़ेगा? इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच आयोजित पीएम मोदी (PM Modi) की रैली में अजित पवार और अन्य शीर्ष एनसीपी नेताओं के न पहुंच पाने के मायने क्या हैं? आइए हम आपको इन्हीं सवालों का जवाब देते हैं और साथ ही सभी चुनावी संभावनाओं व कयासबाजी पर प्रकाश डालते हैं।
Maharashtra Assembly Elections 2024- Mahayuti में दरार के संकेत से क्या मतदान पर पड़ेगा असर?
महाराष्ट्र का सियासी समीकरण तेजी से बदलता नजर आ रहा है। 20 नवंबर को राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। उससे पहले महाराष्ट्र की सत्तारुढ़ महायुति गठबंधन में दरार के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, अजित पवार (Ajit Pawar) की एनसीपी के कुछ कदम से बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) असहज हो गई है। इसमें मानखुर्द शिवाजी नगर से नवाब मलिक (Nawab Malik) को उम्मीदवार बनाना और खुलकर ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे की मुखालफत करना शामिल है। बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाले महायुति में मुख्यमंत्री के चेहरे पर भी ठन गई है।
सियासी टिप्पणीकारों की मानें तो यदि महायुति (Mahayuti) को बहुमत मिलेगा तो सबसे बड़ी जंग सीएम को लेकर होगी। एनसीपी समर्थन अजित पवार, बीजेपी समर्थन देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) तो वहीं शिवसेना (शिंदे गुट) समर्थक एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की दावेदारी को लेकर अड़े हैं। दावा किया जा रहा है कि यदि कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच दरार के ये संकेत ऐसे ही नजर आए तो इसका असर मतदान पर भी पड़ सकता है। हालांकि, इसको लेकर सिर्फ दावे किए जा रहे हैं, आधिकारिक तौर पर इस संभावना पर जोर नहीं दिया जा सकता है।
Ajit Pawar व अन्य शीर्ष NCP नेताओं के PM Modi की रैली में शामिल न होने के मायने क्या?
अजित पवार महायुति की एक मजबूत कड़ी हैं। उनकी एनसीपी मजबूती के साथ महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव लड़ रही है। हालांकि, कभी-कभी अजित पवार महायुति से इतर एनसीपी की रणनीति पर राजनीति करते नजर आ रहे हैं। ताजा वाकया पीएम मोदी (PM Modi) की रैली से जुड़ा है। दरअसल, गुरुवार को मुंबई के छत्रपति शिवाजी पार्क में महायुति की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली आयोजित की गई। इस चुनावी रैली में न तो अजित पवार (Ajit Pawar) शामिल हुए और न ही एनसीपी (AP) के अन्य शीर्ष नेता।
दूसरी तरफ महायुति के अन्य सहयोगी दल शिवसेना (शिंदे गुट) और रामदास अठावले के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के नेता इस रैली में शामिल थे। यही वजह है कि अजित पवार की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। टिप्पणीकारों की कहना है कि अजित पवार एक-एक कदम सोच-समझकर चल रहे हैं। गठबंधन में एक महत्वपूर्ण भागीदार होने के नाते उनकी रणनीति सभी के लिए अहम है।
ऐसे में वो एक तरह की ‘प्रेसर पॉलिटिक्स’ भी कर रहे हैं जिसका असर आगामी समय में देखने को मिल सकता है। बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) के विरोध के बीच नवाब मलिक को उम्मीदवार बनाना भी उसी प्रेसर पॉलिटिक्स का हिस्सा बताया जा रहा है। हालांकि, इसका असर क्या होगा और वे महाराष्ट्र (Maharashtra) में कितने बड़े किंगमेकर बनेंगे ये तो 23 नवंबर को ही स्पष्ट हो सकेगा?