Maharashtra Elections 2024: एक दौर था जब महाराष्ट्र में शिवसेना का एक ही गुट हुआ करता था। शिवसेना कई बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Elections 2024) से लेकर नगर निगम व अन्य चुनावों में किंगमेकर की भूमिका में रही है। हालांकि, हालात बदले और देखते ही देखते बालासाहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) भी दो हिस्सों में बंट गई। 2019 से 2024 के बीच महाराष्ट्र में जो अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम हुए, उनमें शिवसेना में हुई बगावत भी प्रमुख रही।
बगावत के बाद विभाजित शिवसेना पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ रही है। शिवसेना के दो गुट यूबीटी (Shiv Sena-UBT) और शिंदे गुट एक दूसरे को खुले तौर पर चुनौती पेश कर रहे हैं। मुंबई से लेकर कोंकण, विदर्भ और पश्चिमी महाराष्ट्र तक शिवसेना में छिड़ी इस सियासी जंग की चर्चा है। दावा किया जा रहा है कि विभाजित शिवसेना का विधानसभा चुनाव अग्निपरीक्षा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसका डंका बजेगा इस संभावना पर भी खूब चर्चा हो रही है। ऐसे में आइए हम आपको महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समीकरण के बारे में विस्तार से बताते हैं।
Maharashtra Elections 2024- मुंबई से कोंकण, विदर्भ तक! विभाजित शिवसेना का चुनाव अहम क्यों?
मुंबई के अंतर्गत कुल 36 विधानसभा सीटें आती हैं। मुंबई में शुरू से शिवसेना का दबदबा रहा है। हालांकि, अब शिवसेना के दो गुट चुनावी मैदान में है। एक शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) तो दूसरी शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट)। महा विकास अघाड़ी (MVA) की ओर से मुंबई की ज्यादातर सीटें शिवसेना (UBT) को दी गई हैं। वहीं महायुति की ओर से शिवसेना (शिंदे) और बीजेपी दोनों मुंबई में ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में आगामी 23 नवंबर को नतीजों के ऐलान के साथ ये स्पष्ट हो सकेगा कि मुंबई की जनता ने शिवसेना के किस गुट को असली माना है।
कोंकण की बात करें तो गोवा से सटे सिंधुदुर्ग से लेकर ठाणे तक का इलाका है। यहां भी शिवसेना की पकड़ रही है। एकनाथ शिंदे कोंकण इलाके से ही आते हैं। वो फिलहाल महाराष्ट्र के सीएम भी हैं और कोंकण में मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कोंकण की सभी 39 विधानसभा सीटों में से किस खेमे को कितनी सीटें मिलती हैं।
विधानसभा चुनाव (Maharashtra Elections 2024) के लिए विदर्भ का इलाका भी बेहद अहम रहा है। यहां अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या निर्णायक भूमिका में बताई जाती है। विदर्भ यूं तो कांग्रेस (Congress) का गढ़ रहा है। हालांकि, अबकी बार शिवसेना के विभाजन और शिवसेना (यूबीटी) के कांग्रेस के साथ जाने से विदर्भ का समीकरण बदलने की संभावना है। विदर्भ के मतदाता फिलहाल साइलेंट मोड में हैं। आगामी 23 नवंबर को ही स्पष्ट हो सकेगा कि जनता ने किस गठबंधन (MVA या महायुति) को अपना आशीर्वाद दिया है।
यदि शिवसेना (यूबीटी) कोंकण मुंबई और विदर्भ में अच्छा करने में सफल रही तो इसे पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि माना जाएगा। वहीं यदि जनता अपना झुकाव शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर से दिखाती है तो शिवसेना (यूबीटी) के लिए ये बड़ी चुनौती होगी।
Sharad Pawar और Ajit Pawar फैक्टर के क्या हैं मायने?
पश्चिमी महाराष्ट्र एनसीपी (NCP) का गढ़ रहा है। हालांकि, अब परिस्थितियां पहले जैसी नही हैं। एनसीपी में बगावत के बाद शरद पवार (Sharad Pawar) और अजित पवार (Ajit Pawar) दो गुटों का नेतृत्व कर रहे हैं। अजित पवार महायुति (BJP, Shiv Sena- UBT) तो वहीं शरद पवार, महा विकास अघाड़ी (BJP, Shiv Sena- Shinde) के साथ हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र (सोलापुर से कोल्हापुर तक) की कुल 70 विधानसभी सीटों पर भी दिलचस्प जंग छिड़ी है।
सांगली, सतारा, पुणे और बारामती समेत अन्य कई इलाकों में एनसीपी के दोनों धड़े मजबूती से चुनावी प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में पश्चिमी महाराष्ट्र की जनता एनसीपी के किस धड़े (अजित पवार या शरद पवार) को अपना समर्थन देती है ये देखना दिलचस्प होगा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Elections 2024) में एनसीपी के दोनों गुट इसलिए भी अहम बताए जा रहे हैं क्योंकि आगामी समय में दोनों किंगमेकर की भूमिका अदा कर सकते हैं।
Maharashtra Elections 2024- किसका बजेगा डंका?
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम देखें तो कुछ तस्वीरें साफ होती हैं। इस चुनाव में महा विकास अघाड़ी (MVA) और महायुति के उम्मीदवारों ने एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने का काम किया था। हालांकि, चुनावी नतीजों के ऐलान ने सभी को चौंकाया। महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 30 सीट MVA को मिली, जबकि महायुति को महज 17 सीटों से संतोष करना पड़ा। एक सीट (सांगली) निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई।
पार्टी के हिसाब से देखें तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा 13 लोकसभा सीट, बीजेपी को 9, शिवसेना (यूबीटी) को 8, एनसीपी (SP) को 8, शिवसेना (शिंदे) को 7 और एनसीपी (AP) को 1 सीट मिली थी। इस चुनावी तस्वीर के लिहाज से महा विकास अघाड़ी (MVA) को बढ़त जरूर मिली थी। हालांकि, विधानसभा चुनाव में परिस्थितियां अलग हैं, मुद्दे अलग हैं। ऐसे में इस सवाल का जवाब ढू़ंढ़ना कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसका डंका बजेगा थोड़ा जटिल नजर आ रहा है। सबको बेसब्री से 23 नवंबर की तारीख का इंतजार है ताकि इस सवाल का जवाब मिले और महाराष्ट्र की सत्ता अगले 5 वर्षों के लिए किसके हाथों रहेगी ये सभी जान सकें।