Punjab News: सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल वाले मुद्दे पर पंजाब सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। बताया जा रहा है भगवंत मान सरकार ने बुधवार को पूर्वी पंजाब आवश्यक सेवा अधिनियम (ESMA) को लागू कर दिया। ऐसे में यदि कोई भी राजस्व कर्मचारी 31 अक्टूबर से पहले या फिर अगले आदेश तक पद छोड़ता है तो उसके खिलाफ ESMA के तहत क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि कुछ राजस्व अधिकारियों और उपायुक्त कार्यालय के कर्मचारियों ने बीते दिनों में हड़ताल का आह्वान किया था। पंजाब के कुछ इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में इस मामले पर सरकार का कहना है, कि अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल पर होंगे तो स्थिति और खराब हो जाएगी। इस मामले पर मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट किया है।
भगवंत मान ने ट्वीट के माध्यम से कही बड़ी बात
पंजाब सरकार के मुखिया इस मामले को लेकर बड़ी बात कही है। इस दौरान उन्होंने ट्वीट में लिखा, “ऊंची तनख्वाह पाने वाले कुछ सरकारी कर्मचारी कह रहे हैं, कि वे हड़ताल करेंगे…लोगों को परेशान कर आप अपने काम की जिम्मेदारी नहीं निभा रहे…अगर कलमबंद हड़ताल करनी ही है तो सुन लो सरकार तय करेगी कि बचे हुए पेन का क्या किया जाए. हम सबके लिए जनता पहले आनी चाहिए… पहले भी जायज मांगें मानी गई है, अब भी मानेंगे… लेकिन तीसरे दिन जबरदस्ती रखी गई मांगें नहीं मानी जाएंगी.”
पंजाब में सरकारी कर्मचारी क्यों कर रहे हैं हड़ताल
देखा जाए तो पंजाब की भगवंत मान सरकार सभी क्षेत्रों में चौमुखी विकास कर रही है। सरकार का कहना है, कि सभी जायज मांगों को निश्चित रूप से मन जाएगा। लेकिन बेवजह थोपी जा रही मांगों को कतई नहीं माना जाएगा। हालांकि आप सभी हड़ताल करने के लिए स्वतंत्र हैं।
बता दें कि ‘उपायुक्त कार्यालय कर्मचारी संघ’ ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर काम बंद करने और हड़ताल करने की बात कही थी। बताया जा रहा है, इस हड़ताल की जानकारी बीते शुक्रवार को राजस्व पटवार यूनियन और राजस्व के कर्मचारियों ने दी। दरअसल ये मामला संगरूर जिले में कानूनगो और पटवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का दर्ज करने को लेकर है। इसके अलावा कर्मचारियों की और भी कई अन्य मांगे हैं। अब देखना होगा पंजाब सरकार इस मामले को लेकर कैसे आगे बढ़ती है।
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