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अखिलेश यादव के बाद, Rahul Gandhi ने लेटरल एंट्री भर्ती पर खोला मोर्चा, केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा ‘SC, ST वर्ग का..,’ जानें डिटेल

Rahul Gandhi: केंद्र सरकार की तरफ से लेटरल भर्ती सियासत पूरी तरह से गरमा गई है। विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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Rahul Gandhi
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Rahul Gandhi: गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से लेटरल भर्ती के तहत संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में निदेशक, संयुक्त सचिव और उप सचिव के 45 मध्य-स्तर के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। हालांकि इसपर सियासत पूरी तरह से गरमा गई है। विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बता दें कि अखिलेश यादव, तेजस्वी समेत कई विपक्षी नेताओं में इसका कड़ा विरोध किया है। वहीं अब कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

Rahul Gandhi ने केंद्र सरकार पर बोला हमला

नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ में लोक सेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल प्रवेश के लिए नामांकन में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का नवीनीकरण किया जा रहा है।

मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी में देश के सभी शीर्ष भंडारों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उन्हें देशों के बजाय लेटरल एन्ट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पर से और दूर रखा जा रहा है।

इंडिया गठबंधन इसका विरोध करेगी

यह UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक़ पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है। ‘चंद कॉरपोरेट्स’ के प्रतिनिधि निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया। प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा। IAS का निजीकरण’ आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है।

तेजस्वी ने केंद्र पर बोला हमला

बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लेटरल एंट्री पर अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि “केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मजाक एवं खिलवाड़ कर रही है, यह विज्ञापन उसकी एक छोटी सी बानगी है। 𝐔𝐏𝐒𝐂 ने लैटरल एंट्री के ज़रिए सीधे 𝟒𝟓 संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर की नौकरियां निकाली है लेकिन इनमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है। अगर 𝐔𝐏𝐒𝐂 सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 𝟒𝟓 𝐈𝐀𝐒 की नियुक्ति करती तो उसे 𝐒𝐂/𝐒𝐓 और 𝐎𝐁𝐂 को आरक्षण देना पड़ता यानि 𝟒𝟓 में से 𝟐𝟐-𝟐𝟑 अभ्यर्थी दलित, पिछड़ा और आदिवासी वर्गों से चयनित होते। मोदी सरकार बहुत ही व्यवस्थित, पद्धतिबद्ध, योजनाबद्ध और शातिराना तरीके से आरक्षण को समाप्त कर रही है।

विगत चुनाव में प्रधानमंत्री समेत बिहार में उनकी पिछलग्गू पार्टियाँ और उनके नेता छाती पीट-पीटकर दावा करते थे कि आरक्षण को समाप्त कर कोई उनका हक-अधिकार नहीं खा सकता लेकिन उनकी आँखों के सामने, उनके समर्थन व सहयोग के बल पर वंचित, उपेक्षित और गरीब वर्गों के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है तथा कथित स्वयंभू 𝐎𝐁𝐂 𝐏𝐌 समेत उनके साथ यूपी-बिहार-झारखंड के 𝐒𝐂/𝐒𝐓 और 𝐎𝐁𝐂 नेता दुर्भाग्यपूर्ण रूप से ताली पीट ठहाके लगा रहे है”।

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