Rahul Gandhi: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वायनाड के साथ रायबरेली, अमेठी लोकसभा जैसी सीटों का प्रतिनिधित्व कर चुके/रहे राहुल गांधी के लिए आज का दिन बेहद खास है। दरअसल आज यानी 19 जून को राहुल गांधी का 54वां जन्मदिन है जिसके अवसर पर उन्होंने कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय पहुंच कर सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ इसे सेलिब्रेट किया है। राहुल गांधी के जन्मदिन के इस खास अवसर पर हम आपको उनके राजनीतिक सफर के बारे में बताएंगे कि कैसे उन्होंने संगठन से संसद तक का सफर तय किया। इसके अलावा हम आपको राहुल गांधी के समक्ष आगामी महीनों या वर्षों में आने वाले संभावित सियासी चुनौतियों के बारे में भी विस्तार से बताएंगे।
राहुल गांधी का संसदीय सफर?
गांधी परिवार से आने वाले राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को हुआ था। सुरक्षा कारणों के चलते उनका बचपन उनके घर में ही बीता। इसके बाद उन्होंने 1994 में फ्लोरिडा के हावर्ड विश्वविद्यालय से कला स्नातक की परीक्षा दी और साल 1995 में ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में एमफिल किया। एमफिल करने के बाद राहुल भारत लौटे और अखबारों में सुर्खियां बनने लगीं।
वर्ष 2004 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी और संगठन के सक्रिय सदस्य बन गए। इसी दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ‘इंडिया शाइनिंग’ स्लोगन के साथ सत्ता में वापसी की राह देख रहा था और राहुल भी इस दौरान अपनी बहन प्रियंका के साथ अमेठी संसदीय क्षेत्र का दौरा करेत नजर आए।
अंतत: सभी कयासों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को अमेठी से उम्मीदवार बनाया गया है और वे 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीत कर भारतीय संसद में पहुंचे। इसके बाद 2009, 2014 में उन्हें अमेठी से जीत हासिल हुई। हालाकि 2019 में भाजपा की तत्कालिन प्रत्याशी स्मृति इरानी ने उन्हें अमेठी से चुनाव हराया और वे केरल की वायनाड लोकसभा सीट से संसद पहुंचे। 2024 लोकसभा की बात करें तो राहुल गांधी ने अपने परंपरागत सीट रायबरेली व वायनाड से नामांकन किया और दोनों सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। इसके बाद नियम का पालन करते हुए उन्होंने रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व करने का निर्णय लिया और वायनाड से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। ऐसे में राहुल गांधी अब 2024 से 2029 तक रायबरेली लोकसभा सीट का प्रतिनिधत्व करेंगे।
संगठन का सफर
कांग्रेस पार्टी में बतौर पार्टी सदस्य पदार्पण करने वाले राहुल गांधी का संगठन का सफर भी बेहद खास रहा है। उन्हें 2007 में कांग्रेस का महासचिव बनाया गया और यूथ कांग्रेस के साथ भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) का प्रभार भी दिया गया। इसके बाद वर्ष 2013 में राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए और पार्टी संगठन में पूर्णत: सक्रिय हो गए।
सोनिया गांधी के स्वास्थ्य कारणों व बढ़ते उम्र को देखते हुए उन्हें 2017 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया और वे 2019 तक इस पद पर कार्यरत रहे। हालाकि 2019 में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को छोड़ दिया और बतौर व CWC मेंबर व सांसद पार्टी के साथ जुड़े हैं।
राहुल गांधी के समक्ष आने वाली संभावित चुनौतियां
राहुल गांधी के समक्ष यूं तो शुरू से ही चुनौतियां आती रही हैं। बात करें सक्रियता की तो जब से राहुल पूर्ण रूप से पार्टी संगठन के साथ सक्रिय हुए तब 2014 लोकसभा से ही पार्टी को लगातार हार मिली है। हालाकि 2024 में कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरा है और पार्टी 52 से 99 सीटों तक पहुंचने में सफल रही हैं। ऐसे में आगामी महीनों या वर्षों के दौरान भी झारखंड, हरियाणा, दिल्ली व महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं जहां जीत दर्ज कर पाना कांग्रेस पार्टी व राहुल गांधी के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा राहुल गांधी के लिए दक्षिण के प्रदेशों में भाजपा का प्रदर्शन बड़ा चुनौती होगा और उन्हें अपने पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा।
राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा व न्याय यात्रा के दौरान मिले अपार जनसमर्थन को नियमित रूप से रखना भी राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।