Sardar Vallabhbhai Patel: यह उस वक्त की बात है जब अग्रेजों से आजाद हुए भारत को कुछ ही समय बीता था। इस दौरान भारत के पहले उप प्रधानमंत्री Sardar Vallabh bhai Patel ने अपने पदभार संभाला था। बता दें कि भारत और पाकिस्तान दो देश बनने की कंगार पर थे वहीं कई ऐसे रियासतें थी जो या तो पाकिस्तान में विलय होना चाहती थी या फिर अपना अलग देश बनाना चाहती थी। इसी बीच सरदार पटेल के एक फैसले ने पाकिस्तान के सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया। आईए जानते है सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर उनके कई अहम फैसले जिन्होंने देश को एक सूत्र में पिरौने का काम किया था।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने ऐसे कराया था रियासतों का भारत में विलय
मालूम हो कि आजादी के बाद करीब 562 ऐसी रियासतें थी जो न ही भारत में थी और न ही पाकिस्तान में थी। गौरतलब है कि उस वक्त के पहले उप प्रधानमंत्री Sardar Vallabhbhai Patel ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए लगभग सभी रियासतें का भारत में विलय करा दिया था। हालांकि हैदाराबाद, जूनागढ़ की रियासतें पाकिस्तान में या फिर एक अपना अलग देश बनाना चाहते थे, लेकिन इस सपने को सरदार पटेल ने साकार नहीं होने दिया।
पाकिस्तान के मंसूबों पर Sardar Vallabhbhai Patel ने फेरा था पानी
बता दें कि आजादी के बाद 562 रियासतें ने या तो पाकिस्तान या फिर भारत के विलय का ऐलान कर दिया था। वहीं 3 ऐसे रियासतें थी हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर ने ना ही भारत और ना ही पाकिस्तान में विलय किया था। हालांकि जूनागढ़ के राजा महाबत खान ने पाकिस्तान में विलय का ऐलान पहले ही कर दिया था। इसी भनक उस वक्त के गृह मंत्री Sardar Vallabhbhai Patel तो उन्होंने पाकिस्तान को इस मुद्दे पर एक बार फिर विचार करने पर कहा लेकिन पाकिस्तान ने साफ इंकार कर दिया।
वहीं जूनागाढ़ के कई शहरों में नवाब के फैसले का विरोध होन लगा, क्योंकि वहीं 80 से 85 प्रतिशत हिंदू लोग रहे थे। विरोध का असर रहा कि भारत ने जूनागढ़ का कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया। इसके अलावा भारत ने अपने सभी व्यापार जूनागढ़ के साथ बंद कर दिए थे। जिसका भारी विरोध होने लगा और महाबत खान को जूनागढ़ छोड़कर पाकिस्तान भागना पड़ा। माना जाता है कि इस सब के पिछे सरदार पटेल की ही हाथ था।