UP Nikay Chunav 2023: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी निकाय चुनाव 2023 में ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाकर चुनाव में उतरने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनावों में सपा अपने सहयोगियों के साथ बात कर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार करेगी। बता दें आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए जानकार इन निकाय चुनावों को सेमीफाइनल मानकर चल रहे हैं। इसीलिए शायद सपा प्रमुख इन चुनावों में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। इस फैसले के लिए उनके विधानसभा चुनाव के सहयोगी जयंत चौधरी तथा चंद्र शेखर आजाद ने अपनी रजामंदी की मुहर लगा दी है।
जयंत संग रावण ने भरी हामी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव को निकाय चुनावों में अपने चिरपरिचित सहयोगियों रालोद तथा भीम आर्मी का साथ मिल गया है। पिछले विधानसभा चुनाव 2022 की सफल रणनीति को देखते हुए, ओबीसी आरक्षण के लागू होने के सपा प्रमुख जयंत और रावण के साथ मिलकर दलित- पिछड़ी जातियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जिसका लाभ उन्हें पश्चिमी यूपी में बड़ा लाभ मिला था। अभी उपचुनावों में भी खतौली विधानसभा सीट को रावण की एंट्री ने सपा को बीजेपी से सीट छीनने में फायदा पहुंचाया था।
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गठबंधन की सफलता 2024 की रास्ता तय करेगी
बता दें ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव का पूरा फोकस सीधे पिछड़ी जाति के वोट बैंक को साधने पर लगा दिया है। जिसमें वह एक बार फिर से पश्चिमी यूपी के जाटों को साधने के लिए जयंत के साथ गए हैं। जिसकी वजह से ही पिछले विधानसभा चुनावों में सपा की सीटों में बड़ा इजाफा हो गया था। इसके साथ ही पश्चिमी यूपी में दलितों का भी एक बड़ा वोट बैंक है। जिसकी वजह से उन्होंने रावण के साथ जाने का फैसला लिया है। जिसकी वजह से बीजेपी उपचुनावों में सपा के सामने पस्त हो गई थी। जबकि पहले यह सीट बीजेपी के विक्रम सिंह सैनी पर थी। इस सीट पर बीजेपी को 22 हजार से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
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