UP Nikay Chunav 2023: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी के निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव होने जा रहे हैं। इस बार नई आरक्षण नीति लागू होने के कारण कई निकायों के अध्यक्ष पद से लेकर वार्ड पार्षदों के भी समीकरण बदल दिए हैं। इसका असर राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीतियों पर भी व्यापक रूप से पड़ा है। कल 3 अप्रैल 2023 को ही प्रदेश भाजपा ने अपनी रणनीतिक तैयारियों को तत्काल बदलते हुए कुल 17 में से 14 निगमों के प्रभारी मंत्रियों में फेरबदल कर दिया है। इसके साथ-साथ निकायों के परिसीमन और कुछ नई नगर पंचायतों के गठन के कारण मतदाताओं की संख्या बढ़ने से भी चुनावी विजय पाने के समीकरण गड़बड़ा गए हैं।
जानें क्या पड़ा है असर
बता दें प्रदेश में कुल 762 नगर निकाय हैं। आरक्षण लिस्ट जारी हो चुकी है। निकाय चुनावों के लिए अभी आचार संहिता लागू होने में लगभग 2 सप्ताह का समय लग सकता है। इसलिए आरक्षण नीति लागू होने से बदली परिस्थितियों में पार्टियों के साथ ही प्रत्याशियों में कागजात दुरुस्त कर लेने की तैयारियों को लेकर हलचल बढ़ गई है। बिजली-पानी से लेकर सरकारी बकाएदारी को लेकर नो ड्यूज सर्टिफिकेशन लेने दफ्तरों की दौड़ शुरू हो गई है। जिससे उनके नामांकन भरने के समय में कोई अड़चन न आ जाए। राज्य सरकार की तरफ से सभी जनपदों में अध्यक्ष पदों तथा पार्षद पदों पर आरक्षण की सूचना पहुंच गई है। इससे 17 में से 11 निगमों की सीटों का समीकरण पूरी तरह बदल गया है।
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मतदाताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी
बता दें यूपी के निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार के मुताबिक कुल 760 निकायों में चुनाव कराने की घोषणा हो चुकी है। जिसमें 17 नगर निगम,199 नगर पालिका तथा 544 नगर परिषद के चुनाव होने हैं। ओबीसी आरक्षण लागू होने से कुल 205 सीटें आरक्षित कर दी गई हैं। इसी तरह परिसीमन होने से लगभग 96 लाख वोटर्स इस बार बढ़ गए हैं। 2017 की तुलना में इस बार जहां 4,32,31,827 वोटर्स हो गए हैं जो पिछली बार 3,35,95,547 थे।
दोनों डिप्टी सीएम को नहीं कोई प्रभार
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी के नेता जोर – शोर से प्रचार कर रहे हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दावा किया है कि बीजेपी यहां सभी सीटें जीतने वाली है। ऐसे में निकाय चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने चुनाव प्रभारियों में बदलाव कर दिया है। जहां पहले उत्तर प्रदेश के दोनों ही उप मुख्यमंत्रियों को चुनाव प्रभारी बनाया गया था वहीं अब उन्हें इस पद से हटा दिया गया है। यही नहीं बीजेपी ने इसके साथ – साथ 14 नगर निगमों के प्रभारियों में बदलाव किया है। वहीं 17 नगर निगम में केवल 3 ऐसे हैं जहां पार्टी की तरफ से किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ है।
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