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क्या झारखंड पर पड़ेगा बिहार में बिछ रही सियासी बिसात का असर? Tejashwi Yadav और Giriraj Singh के बयानों से समझें समीकरण

Tejashwi Yadav: बिहार में RJD नेता तेजस्वी यादव और BJP नेता Giriraj Singh के बयानों की खूब चर्चा हो रही है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार में बिछ रही सियासी बिसात का असर झारखंड विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा?

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Tejashwi Yadav
फाइल फोटो- तेजस्वी यादव और गिरिराज सिंह

Tejashwi Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछने की शुरुआत हो चुकी है। अब तक के समीकरण के लिहाज से देखें तो बिहार में दो से तीन राजनीतिक गुट विधानसभा चुनाव में आमने-सामने हो सकते हैं। इसमें एक गुट है तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व वाला महागठबंधन (RJD, Congress, VIP और वाम दल) तो वहीं दूसरा गुट नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व वाली एनडीए है। एनडीए में BJP, JDU, LJP-R जैसे दल हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज भी तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी में जुटी है।

ऐसे में ये स्पष्ट है कि बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Politics) के लिए सियासी बिसात बिछाया जा रहा है। इस दौरान राजनेताओं के बयान खास महत्वपूर्ण हैं। विशेष तौर पर सबकी नजरें तेजस्वी यादव और BJP के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) के बयानों पर हैं। ऐसे में आइए हम आपको दोनों नेताओं के बयान और भविष्य में राजनीतिक संभावनाओं को बारे में बताते हैं। इसके अलावा ये भी बताने की कोशिश करते हैं कि क्या बिहार में बिछ रही सियासी बिसात का असर झारखंड चुनाव (Jharkhand Elections 2024) पर भी पड़ेगा?

Tejashwi Yadav की सटीक बयानबाजी के मायने

बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के सुपुत्र और सदन में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अल्प समय में खुद को एक बड़े नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया है। बिहार की राजनीति में उनका दबदबा बीतते समय के साथ बढ़ता नजर आ रहा है। तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) आम तौर पर विवादित बयान देने से बचते हैं और अपनी सटीक बयानबाजी से सुर्खियों में रहते हैं। वे केन्द्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधते हैं।

सत्तारुढ़ दल द्वारा आरजेडी नेता पर तुष्टीकरण के आरोप लगाए जाते हैं। इस आरोप पर भी तेजस्वी यादव का बयान बेहद सहज नजर आता है। वे RJD को माई (MY- मुस्लिम,यादव) के अलावा BAAP (B-बहुजन, A-अगड़ा, A-आधी आबादी, P-पुअर यानी गरीब) की पार्टी भी बताते हैं। हाल में ही तेजस्वी ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अहम बात कही थी। उनका कहना है कि “बीजेपी के शासन में सबसे अधिक बेरोजगार हिंदू ही है। महंगाई की मार, गरीबी की मार हिन्दूओं पर है। अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है।”

तेजस्वी यादव अपने बयान और समीकरण को लेकर कहते हैं कि वे सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। हालांकि, विपक्ष लगातार उन पर हमला करता रहता है जिसे वे राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बताते हैं।

BJP नेता Giriraj Singh के बयान का आशय

बिहार बीजेपी के फायरब्रांड नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरते हैं। उन्हें हिंदु एकता, सनातन संस्कृत से संबंधित कई पहलुओं पर बोलते सुना जा सकता है। बीते दिनों ही गिरिराज सिंह ने बिहार के सीमांचल में स्थित जिलों में हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकाली थी। इस दौरान विपक्ष ने उन पर एकता खंडित करने के आरोप भी लगाए।

गिरिराज सिंह की यात्रा या उनके बयान को पार्टी सार्वजनिक मंचों पर समर्थन तो नहीं देती लेकिन उसका विरोध भी नहीं करती नजर आती है। सियासी टिप्पणीकारों की मानें तो बिहार में बीजेपी की अपनी पृष्ठभूमि मजबूत करने और चुनावी संभावनाओं को बेहतर करने के लिए गिरिराज सिंह लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि उनके बयान से बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछाई जा रही है। हालांकि, ये कितना कारगर होगा ये तो चुनावी परिणाम ही बता सकेंगे।

क्या Jharkhand Assembly Election 2024 पर भी पड़ेगा असर?

क्या बीजेपी नेता गिरिराज सिंह या तेजस्वी यादव के बयान का असर झारखंड (Jharkhand Assembly Election 2024) पर भी पड़ेगा? इस संभावना को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, झारखंड पहले बिहार का हिस्सा हुआ करता था। ऐसे में यहां भी RJD का अपना एक प्रभुत्व है। टिप्पणीकारों की मानें तो झारखंड के कुछ हिस्से में तेजस्वी फैक्टर काम कर सकता है। अन्यथा ज्यादातर चुनावी लड़ाई BJP और JMM के बीच ही है।

गिरिराज सिंह के बयान की बात करें तो वे लगातार बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ का मुद्दा उठाते रहे हैं। कई अन्य बीजेपी नेताओं द्वारा भी झारखंड में घुसपैठ से जुड़ा मुद्दा उठाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इस फायरब्रांड नेता के बयानों का असर झारखंड चुनाव पर पड़ने की संभावना थोड़ी कम है। वहां पहले ही बीजेपी के कई स्टार प्रचारकों की फौज मौजूद है जो अपने सियासी समीकरण को साध चुनावी परिणाम को बेहतर करने के लिए प्रयासरत है।

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