Monday, November 18, 2024
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कर्ज के आर्थिक जंजाल में फंसा दुनिया का महाबली America, डिफॉल्टर हुआ तो पड़ेगा भारत पर ऐसा असर!

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US Dollar vs BRICS Currency: रूस (Russia) के कजान शहर में आयोजित 16वें BRICS Summit का समापन आज यानी 24 अक्टूबर को होना है। कजान (Kazan) में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने दुनिया का समक्ष चर्चा का एक नया विषय दे दिया है।

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BRICS vs NATO: रूस के 8वें सबसे अधिक आबादी वाले शहर कजान (Kazan) में आज दुनिया के तमाम ताकतर राष्ट्राध्यक्षों का जमावड़ा लगा है। वोल्गा और काजानका नदी के संगम पर स्थित कजान की सुरक्षा व्यवस्था भी चका-चौंध है।

America: दुनिया का महाबली, महाशक्ति अमेरिका का आर्थिक सम्राज्य दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। कर्ज की बुनियाद पर खड़े इस दुनिया के आर्थिक महाबली का विकसित होने का तिलिस्म टूट गया है। उसका खजाना खाली हो गया है। उसने कर्ज इतना ले रखा है कि पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नए कर्ज लेने की जरूरत पड़ गई है। जिसके लिए उसकी घरेलू राजनीति में विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी भी सहयोग के लिए तैयार नहीं हो रही है। इसलिए अमेरिका दिवालिया की हालत में पहुंच गया है। शर्मिंदगी का कारण ये कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को अपनी क्वाड बैठक की यात्रा रद्द करनी पड़ गई है।

जानें क्या है आर्थिक संकट के पीछे की वजह

दरअसल अमेरिका की अर्थव्यवस्था पिछले कई सालों लगातार घाटे में चल रही है। पिछले एक दशक में उसका घाटा 400 मिलियन डॉलर से बढ़कर 3 ट्रिलियन डॉलर हो चुका है। मौजूदा अर्थव्यवस्था के हिसाब से उसकी कर्ज लेने की सीमा 31.4 ट्रिलियन डॉलर है और उस पर 30.1 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज हो चुका है। स्थिति यह है यदि महीने के अंत तक लोन की सीमा बढ़ाने की अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी नहीं मिली, तो 1 जून 2023 डिफाल्टर घोषित हो सकता है।भारतीय परंपरा में एक कहावत कही जाती है ‘तेते पांव पसारिये, जैसी चादर होय’ अर्थात हमें अपनी क्षमतानुसार ही भौतिक साधनों के पीछे भागना चाहिए न कि क्षमता से अधिक कर्ज उधार लेकर जीवन को चमकदार दिखाने के पीछे भागना चाहिए। यही भारतीय जीवन पद्धति का मूल है।

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भारत पर पड़ेगा बड़ा असर

बता दें भारत का सबसे बड़ा आयातक देश अमेरिका ही है। निर्यात का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को जाता है। जिसमें भारतीय उत्पादों से लेकर भारतीय साफ्टवेयर सेवाओं तक की भागीदारी है। यदि अमेरिका में डिफाल्टर होता है तो वहां मांग में कमी आएगी। जिसका सीधा असर भारत के निर्यात पड़ पड़ेगा। बता दें पिछले 1 दशक में नरेंद्र मोदी सरकार कार्यकाल में अमेरिका के साथ व्यापार चीन को पीछे छोड़कर सबसे 200 बिलियन डॉलर के करीब पहुंचने वाला है। यदि उसे और कर्ज लेने की मंजूरी मिल भी जाती है तब भी उसके बैंकों को ब्याज दर में भारी बदलाव लाना पड़ेगा। जिसका सीधा असर भारत जैसे देश पर पड़ना है।

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Hemant Vatsalya
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Hemant Vatsalya Sharma DNP INDIA HINDI में Senior Content Writer के रूप में December 2022 से सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने Guru Jambeshwar University of Science and Technology HIsar (Haryana) से M.A. Mass Communication की डिग्री प्राप्त की है। इसके साथ ही उन्होंने Delhi University के SGTB Khalasa College से Web Journalism का सर्टिफिकेट भी प्राप्त किया है। पिछले 13 वर्षों से मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हैं।

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