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ICC ODI World Cup 2023 : गंभीर चोट के बाद भी पिच पर डटे रहे Glenn Maxwell , दिलाई अनिल कुंबले – युवराज सिंह की याद

7वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए ऑस्ट्रेलिया के ऑल राउंडर ग्लेन मैक्सवेल के लोग कायल हो गए। वह गंभीर चोट के बाद भी पिच पर डटे रहे और ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाई। उनकी इस प्रदर्शन ने अनिल कुंबले और युवराज सिंह की याद दिला दी।

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ICC ODI World Cup 2023 : जब अपनी टीम को जीत दिलाने की बात आती है तो कोई भी खिलाड़ी लड़ जाता है। चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थिति क्यों ना हो खिलाड़ी टीम को जीत दिलाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ठीक ऐसा ही कुछ हुआ वर्ल्ड कप 2023 ऑस्ट्रलिया बनाम अफगानिस्तान मुक़ाबले में। छठे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए ऑस्ट्रेलिया के ऑल राउंडर ग्लेन मैक्सवेल के लोग कायल हो गए। उन्होंने जिस तरह की डेडिकेशन दिखाई वो कमाल थी। मैच के दौरान चोट लगने के बाद भी वह पिच पर डटे रहे और ऑस्ट्रलिया को सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करवाया।

दरअसल मैक्सवेल ने मैच के दौरान मैक्सवेल को पीठ दर्द की शिकायत थी। इसके साथ ही उन्हें हैमस्ट्रिंग की गंभीर चोट भी लगी। लेकिन वे अपनी टीम के लिए मैदान पर डटे रहे। मैच के दौरान उनकी तकलीफ इतनी बढ़ गई की उन्हें रुकना पड़ा और वह मैदान पर ही लेट गए। लेकिन वह फिर उठ खड़े हुए। फिर उन्होंने खड़े-खड़े ही तूफानी बल्लेबाज़ी की। Glenn Maxwell ने 128 गेंदों का सामना करते हुए नाबाद 201 रन बनाए। उनकी इस पारी में 21 चौके और 10 छक्के शामिल थे।

मैक्सवेल ने दिलाई कुंबले – युवराज की याद

चोटिल होते हुए पिच पर डटे रहना और अपनी टीम को जीत दिलाना कोई आसान काम नहीं है। मैक्सवेल ने अपने इस दृढ़ निश्चय से युवराज सिंह और अनिल कुंबले की याद दिलाई।

एंटीगुआ टेस्ट साल 2002 में खेले गए एक मैच के दौरान अनिल कुंबले का जबड़ा गेंद लगने के कारण पूरी तरह से टूट गया था। उनका चेहरा पूरा लहूलुहान था और उनके चेहरे पर पट्टियाँ बंधी थी। फिर भी उन्होंने अपने दर्द की परवाह ना करते हुए गेंदबाजी की। उन्होंने क्रिकेट की भावना दिखते हुए सबके लिए एक उदाहरण सेट किया। क्रिकेट के इतिहास में ये सबसे प्रेरणादायक पलों में से एक पल था।

भारत को 2011 वर्ल्ड कप ट्रॉफी जिताने में युवराज सिंह का बहुत बड़ा हाथ है। लेकिन वो साल उनके लिए बहुत ही मुश्किल था, वर्ल्ड कप के दौरान उनकी तबियत बहुत ख़राब रहती थी। उनको खून की उलटी होती थी फिर वह पिच पर डटे रहे और भारत को वर्ल्ड कप ट्रॉफी जिताई। आपको बता दें वर्ल्ड कप के बाद युवराज को कैंसर से जूझना पड़ा था।

चाहे वो अनिल कुंबले की 2002 की गेंदबाज़ी हो , युवराज सिंह की 2011 की पारी या मैक्सवेल की अफगानिस्तान के खिलाफ 2023 वर्ल्ड कप की पारी , इन सभी परफॉर्मेंस को क्रिकेट के इतिहास में सबसे प्रेरणादायक पलों में लिखा जाएगा।

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