Aeolus Satellite: पृथ्वी पर 1360 किलोग्राम का खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार एक सैटेलाइट हमारे ग्रह के वायुमंडल में गिरने वाला है। इसका नाम आयोलस (Aeolus) है, जिसे यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने अगस्त 2018 में लॉन्च किया था।
इस सैटेलाइट को अर्थ एक्स्प्लोरर सर्च मिशन के रूप में लॉन्च किया गया था। ESA के सामने सबसे बड़ी चुनौती सैटेलाइट को सुरक्षित तरीके से पृथ्वी पर गिराना है, ताकि जानमाल का कोई नुकसान ना हो। अब ये सब कैसे होगा, आइए जानते हैं।
क्या है मिशन ‘एओलस’?
एजेंसी का यह पहला ऐसा मिशन है जब बेकार हो चुके उपग्रह एओलस को वापस धरती पर भेजा रहा है। यह मिशन धरती पर उपग्रहों की वापसी का रास्ता खोल सकता है, जिनकी वापसी अब तक मुश्किल होती थी। अब ESA का सैटेलाइट 320 किलोमीटर की दूरी से धरती पर गिरेगा। 19 जून को अपना मिशन पूरा करने के बाद यह सैटेलाइट धरती की तरफ आ रहा है।
28 जुलाई को धरती पर आएगा सैटेलाइट
24 जुलाई को जैसे ही यह 280 किलोमीटर तक पहुंचा, ईएसए मिशन ऑपरेटरों ने इसे सुरक्षा के साथ धरती पर पहुंचाने के लिए कोशिशें शुरू की। रिपोर्ट के मुताबिक, 28 जुलाई को सैटेलाइट धरती पर पहुंचेगा। इस दौरान ऑपरेटर इसे गाइड करते हुए नीचे उतारेंगे।
अटलालिंक महासागर में गिरेगा सैटेलाइट
धरती पर उतरते समय कई सैटेलाइट जलने शुरू हो जाते हैं और ये टुकड़ों में बंटने लगते हैं। एजेंसी का कहना है, सब कुछ योजना के मुताबिक होता है तो किसी तरह का खतरा नहीं होगा। यूरोपियन स्पेस एजेंसी का कहना है कि इसे अटलांटिक महासागर में गिराया जाएगा क्योंकि इस हिस्से में इसकी विजिबिलिटी सबसे ज्यादा रहेगी।
5 साल पहले लॉन्च हुआ था 1360 KG का सैटेलाइट
एजेंसी का दावा है कि आमतौर पर गिरने वाले सैटेलाइट के मुकाबले इस तरह योजना बनाकर इन्हें गिराने से कई तरह के खतरों में कमी आती है। इस तरीके से जोखिम 42 गुना तक कम हो जाते हैं। 1360 किलोग्राम भार वाले एओलस सैटेलाइट को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 2018 में लॉन्च किया था। इसका लक्ष्य धरती और दूसरें ग्रहों के चारों तरफ घूमने वाली हवा की स्पीड को मापना था।यही वजह थी कि इसे मौसम की जानकारी देने वाले महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना गया।
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