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चांद और सूर्य के बाद अब समुद्र की बारी, जानिए क्या है भारत का Samudrayaan Mission ?

Samudrayaan Mission: भारत गहरे समुद्र में छिपे रहस्यों को जानने के लिए देश के पहले समुद्रयान मिशन 'मत्स्य 6000' को लांच करने वाला है, जो बनकर पूरी तरह से तैयार है। इसकी मदद से समुद्र के अंदर छिपे रहस्यों को जानने में मदद मिलेगी।

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Samudrayaan Mission
Samudrayaan Mission

Samudrayaan Mission: ISRO के अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 के जरिए चांद को छूने के बाद अब भारत गहरे समुद्र में गोता लगाएगा। दरअसल, भारत अभी पृथ्वी की गहराइयों सहित ब्रह्मांड के हर हिस्से का पता लगाने के मिशन पर है। चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने के बाद भारत ने समुद्र का पता लगाने की योजना बनाई है। इस मिशन के जरिए भारत समुद्र की गहराई नापेगा और समुद्र के अंदर छिपे रहस्यों को जानने की कोशिश करेगा। इसे मिशन समुद्रयान (Samudrayaan Mission) नाम दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, मिशन अब पूरी तरह तैयार है। जल्द ही इसका ट्रायल होने जा रहा है।

‘…अब अगला मिशन समुद्रयान’

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा कि अब अगला मिशन है “समुद्रयान”। यह चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान में निर्माणाधीन ‘मत्स्य 6000’ सबमर्सिबल है। उन्होंने आगे लिखा कि इस मिशन के तहत भारत के पहले मानवयुक्त गहरे महासागर मिशन ‘समुद्रयान’ में गहरे समुद्र के संसाधनों और जैव विविधता मूल्यांकन का अध्ययन करने के लिए एक पनडुब्बी में 6 किलोमीटर समुद्र की गहराई में 3 मनुष्यों को भेजने की योजना बनाई है।

समुद्र में क्या करेगा समुद्रयान मिशन ?

समुद्रयान मिशन समुद्र का अध्ययन करने के डिजाइन किया गया है। जिसके तहत ‘मत्स्य 6000’ तीन लोगों को 6 किलोमीटर की गहराई तक ले जाएगा, ताकि वहां के स्रोतों और जैव-विविधता का अध्ययन किया जा सके। ‘मत्स्य 6000’ एक तरह का स्वदेशी सबमर्सिबल है। इसे आप छोटी गोलदार पनडुब्बी भी कह सकते हैं। इसके जरिए समुद्र तल से करीब 6 किलोमीटर नीचे कोबाल्ट, निकल और मैंगनीज जैसी बहुमूल्य धातुओं की खोज की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसका निर्माण करीब दो साल में किया गया है। अगले साल यानी 2024 की शुरुआत में टेस्टिंग के लिए चेन्नई तट से इसे बंगाल की खाड़ी में छोड़ा जाएगा। यह पूरी तरह से एक स्वदेशी परियोजना है।

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