AI: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 68वें राष्ट्रीय इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन कॉन्फ्रेंस का आयोजन जारी है। 14 से 17 दिसंबर 2023 तक चलने वाले इस समारोह में कई गंभीर विषयों पर चर्चा की गई। आपको बता दें कि ये आयोजन इकाना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में ‘नेविगेटिंग इन टू दी फ्यूचर’ थीम पर रखा गया। इस दौरान कई ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट्स भी मौजूद रहें। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए चर्चा की गई कि कैसे एआई ऑर्थोपेडिक से जुड़ी समस्यों के इलाज में मददगार साबित हो सकता है। एआई की मदद से ऑर्थोपेडिक से पीड़ित मरीजों को जल्दी और बेहतर तरीके से आराम मिल सकता है।
एक्सपर्ट ने इस विषय पर की गहन चर्चा
कॉन्फ्रेंस में ऑर्थोपेडिक केयर को कैसे एडवांस लेवल पर ले जाकर उससे मरीजों को बेहतर रिजल्ट दिया जाए। इस दौरान दुनिया भर से एक्सपर्ट एकजुट हुए थे। इसमें एआई की मदद से कैसे ऑर्थोपेडिक के इलाज को आसान और बेहतर बनाया जा सकता है। इस मसले पर विचार-विमर्श हुआ।
ट्रामा केयर और स्पाइन सर्जरी में मिल सकती है मदद
इस दौरान ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव ने मेडिकल पर्सनल में सरकारी अस्पतालों में ट्रामा केयर और स्पाइन सर्जरी में कमी की जगह ले सकता है। उन्होंने एआई और रोबोटिक्स के जरिए ट्रेंड डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सकता है। एआई की मदद से मरीज की केयर और उसे मिलने वाले इलाज में एफिशियंसी बढ़ जाएगी। साथ ही इन्हें नई तकनीक की मदद से फ्चूयर डॉक्टर्स भी बनाया जा सकता है। वहीं, घुटने के दर्द में देरी और बढ़ते स्पाइन से इसके डैमेज होने के बाद एआई इसमें भी काफी उपयोगी हो सकता है। एआई इसकी सर्जरी और इलाज भी काफी कारगर हो सकता है।
आपको बता दें कि विटामिन डी और कैल्शियम की कमी की वजह से हड्डियों में ये परेशानी और अधिक बढ़ती चली जाती है। ऐसे में एआई या रोबोटिक्स की मदद से हड्डियों की समस्या को दूर किया जा सकता है। हालांकि, अभी तक इसकी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।
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