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AI: Meta, Google और Microsoft ने राजनीतिक डीपफेक के इस्तेमाल पर नकेल कसने के लिए मिलाया हाथ, जानें डिटेल

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AI: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई (AI) सेक्टर में लगातार विकास जारी है। एआई अपनी क्षमताओं के दम पर कई मुश्किल कामों को कम समय में बेहतर तरीके के साथ कर रहा है। इसी बीच डीपफेक (Deepfake) इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।

AI Deepfake पर लगाम लगाने के लिए साथ आई कई कंपनियां

हाल ही के दिनों में आपने डीपफेक (Deepfake) के बारे में सुना होगा या पढ़ा होगा। डीपफेक की वजह से कई नामी हस्तियों को खासी परेशानी उठानी पड़ी। ऐसे में दुनिया की कई दिग्गज टेक कंपनियां एकसाथ आई हैं। इसमें मेटा, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और ओपनएआई समेत कई कंपनियां शामिल है।

Meta, Google और Microsoft ने मिलाया हाथ

दरअसल इस साल दुनिया के कई देशों में चुनाव होने हैं। ऐसे में एआई कंटेंट के जरिए मतदाताओं को गुमराह और धोखा दिया जा सकता है। यही वजह है कि मेटा, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और ओपनएआई समेत कई कंपनियों ने एआई कंटेंट पर नकेल कसने के लिए आपसी समझौता किया है। साथ ही इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि राजनीतिक डीपफेक और एआई के जरिए मतदाताओं को गुमराह करने वाले कंटेंट पर रोक लगाने के उद्देश्य से आगामी म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान ये कंपनियां समझौते का ऐलान कर सकती है।

AI Deepfake पर रोक लगाने के लिए Meta ने क्या कहा

वहीं, मेटा ने कहा, ‘वैश्विक चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष में, प्रौद्योगिकी कंपनियां मतदाताओं को लक्षित एआई के भ्रामक उपयोग से निपटने के लिए एक समझौते पर काम कर रही हैं।’ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मेटा, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ओपनएआई, टिकटॉक और एडोब जैसी कंपनियां एकसाथ आई है। ये सभी कंपनियां मिलकर काम करेंगी।

क्या करेंगी ये कंपनियां

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये सभी कंपनियां मिलकर एआई जेनरेटिव फोटो, कंटेंट और वीडियो-ऑडियो की पहचान करेंगी। एआई कंटेंट का लेबलिंग और उन्हें नियंत्रित करने के लिए आपसी सहमति भी विकसित की जाएगी।

खबरों में बताया जा रहा है कि मेटा, गूगल और ओपनएआई जैसी कंपनियां एआई कंटेंट पर सामान्य वाटरमार्किंग लगाने पर सहमत हो गई हैं। ऐसे में ओपनएआई के चैटजीपीटी, माइक्रोसॉफ्ट के कोपायलट और गूगल के जेमिनी से बनाए गए फोटो पर वाटरमार्किंग का उपयोग किया जाएगा।

AI डीपफेक का ताजा मामला

दरअसल दिग्गज टेक कंपनियों को ये डर है कि इस साल चुनावों में एआई कंटेंट का गलत इस्तेमाल हो सकता है। इन कंपनियों का जो डर है, उसे ताजा उदाहरण के जरिए समझा जा सकता है। पाकिस्तान में चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने जेल में बंद अपने नेता से भाषण जेनरेट करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया।

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