S Somanath: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि उन्हें अमृतकाल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष में विशेष रूप से एप्लिकेशन, सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं दिखाई देती हैं।
उन्होंने कहा कि जब हम अपने अमृतकाल में पहुंचेंगे, तो अंतरिक्ष में हमारी अर्थव्यवस्था का हिस्सा काफी अधिक होगा और यह द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों से आएगा, न की रॉकेट और उपग्रहों के निर्माण से। सोमनाथ ने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के 50वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कही।
तेजी से ग्रो कर रही इंडियन स्पेस इकोनॉमी
उन्होंने हाइपरलोकल मौसम अपडेट सेवाओं, मानचित्र सेवाओं, रिमोट सेंसिंग और संचार अनुप्रयोगों जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि इन सेवाओं का जबरदस्त उपयोग किया जा रहा है। हमें भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए हम सही पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2047 तक इसके कुल सकल घरेलू उत्पाद का 1.8 प्रतिशत यानी 0.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। अंतरिक्ष क्षेत्र में उभरते रुझानों में दुर्लभ धातुओं और खनिजों का खनन, अंतरिक्ष अचल संपत्ति और अंतरिक्ष में बने उत्पाद शामिल हैं।
‘हमें महान वैज्ञानिकों की जरूरत‘
एक सक्षम प्रतिभा पूल की आवश्यकता पर बल देते हुए, सोमनाथ ने कहा कि इसरो अपने क्षमता निर्माण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में विभिन्न संस्थानों के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम प्रतिभा पूल के लिए विभिन्न संस्थानों के साथ काम कर रहे हैं। इसरो केवल विज्ञान संबंधी परिणाम उत्पन्न करने वाली प्रणाली का निर्माता है। हमें ऐसी प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों और संस्थानों की आवश्यकता है जिनके पास महान वैज्ञानिक हों जो डेटा का अर्थ समझ सकें।
अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ी रही निजी भागीदारी
इसके अलावा, अंतरिक्ष में निजी भागीदारी पर उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी मात्रा में व्यावसायिक अवसर खुल रहे हैं, निजी उद्यमी अपनी गतिविधियों को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए भविष्य के सभी अंतरिक्ष कार्यक्रम संभव नहीं होंगे।
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