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Aditya L1 की लॉन्चिंग का काउंट डाउन शुरू, शानिवार सुबह उड़ान भरेगा भारत का पहला सोलर मिशन, यहां देख पाएंगे LIVE

Aditya L1: भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। ISRO अध्यक्ष सोमनाथ ने बताया कि लॉन्चिंग की रिहर्सल पूरी हो चुकी है। शनिवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर यह मिशन लॉन्च किया जाएगा। ISRO ने इसकी लॉन्चिंग देखने के लिए LIVE लिंक भी उपलब्ध कराया है।

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Aditya L1 Solar Mission
Aditya L1 Solar Mission

Aditya L1: भारत के पहले सोलर मिशन आदित्‍य एल-1 की लॉन्चिंग का काउंटडाउन अब शुरू हो चुका है। शनिवार सुबह 11 बजकर 50 मिटन पर यह मिशन श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा। लॉन्चिंग को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। ISRO के लॉन्चिंग देखने के लिए LIVE लिंक (Aditya L1 Live Streaming) भी उपलब्ध करवा दिया है।

यहां देख पाएंगे आदित्‍य एल-1 की LIVE लॉन्चिंग

आप भी ISRO द्वारा दिए गए इस लिंक पर आदित्‍य एल-1 की लाइव लॉन्चिंग देख पाएंगे। इस लाइव को ISRO की वेबसाइट- https://isro.gov.in, फेसबुक (Facebook) – https://facebook.com/ISRO, यूट्यूब (You Tube) https://youtube.com/watch?v=_IcgGYZTXQw और डीडी नेशनल टीवी चैनल पर दिखाया जाएगा।

लॉन्चिंग के लिए ISRO पूरी तरह तैयार

ISRO के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने कहा कि मिशन के रॉकेट और उपग्रह पूरी तरह तैयार हैं। प्रक्षेपण (Launching) के लिए रिहर्सल भी कर ली गई है। इसकी लॉन्चिंग की उल्टी गिनती अब शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि ISRO लॉन्चिंग को लेकर पूरी तरह से तैयार है। यह भारत का पहला सौर मिशन होगा, जो सूर्य का अध्ययन कर उससे जुड़ी जानकारियां वैज्ञानिकों तक पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि 2 सितंबर, सुबह 11:50 बजे, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से इसे लॉन्च किया जाएगा।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह मिशन ?

अगस्त में चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब अंतरिक्ष यान उतारने वाला भारत पहला देश बनने के बाद ISRO के लिए यह सफलता एक और बड़ी उपलब्धि होगी। यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो आदित्य-एल1 पांच लैग्रेंज बिंदुओं में से एक के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में प्रवेश करेगा। वहां से, आदित्य-एल1 सूर्य के निर्बाध दृश्य को देख पाएगा।

यह मिशनवास्तविक समय में पृथ्वी और अन्य ग्रहों के आसपास की पर्यावरणीय स्थितियों पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा। ISRO का अंतरिक्ष यान वैज्ञानिकों को पृथ्वी की जलवायु के छिपे इतिहास का पता लगाने में भी मदद कर सकता है, क्योंकि सौर गतिविधियों का ग्रह के वायुमंडल पर प्रभाव पड़ता है।

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