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क्या Elon Musk का Neuralink चिप इंसान को बनाएगा सुपर ह्यूमन, दिमाग चलेगा ChatGPT से भी तेज?

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Elon Musk
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Elon Musk: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) यानी एआई (AI) के दौर में तकनीक लगातार ऊपर की ओर जा रही है। जहां एक तरफ एआई हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ, एआई इंसानों के लिए हर काम को आसान बना रहा है।

इसी बीच दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में से एक एलन मस्क (Elon Musk) ने एक बड़ा दावा किया है। एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने पहली बार इंसान में सफलतापूर्वक चिप लगा दी है। ऐसे में क्या न्यूरालिंक (Neuralink) की चिप इंसान को बनाएगी सुपर ह्यूमन? क्या ये चैटजीपीटी (ChatGPT) से भी तेज होगी? आइए जानते हैं डिटेल।

आपको बता दें कि एलन मस्क की स्टार्टअप कंपनी न्यूरालिंक ने शानदार काम किया है। न्यूरालिंक ने इंसानी दिमाग में पहली बार चिप प्लांट की है, इसकी आधिकारिक पुष्टि खुद एलन मस्क ने की है। एलन मस्क ने अपनी एक्स (ट्विटर) पोस्ट पर लिखा, ‘पहले मानव को कल एक प्रत्यारोपण मिला और वह ठीक हो रहा है। प्रारंभिक परिणाम आशाजनक न्यूरॉन स्पाइक का पता लगाते हैं।‘ मस्क ने अपने अगली पोस्ट में कहा, ‘पहले उत्पाद को टेलीपैथी कहा जाता है।‘

Elon Musk ने इन लोगों को दिया नया जीवन

टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने आगे कहा, ‘आपके फोन या कंप्यूटर और उनके माध्यम से लगभग किसी भी डिवाइस को केवल सोचने से नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। प्रारंभिक उपयोगकर्ता वे होंगे, जिन्होंने अपने अंगों का उपयोग खो दिया है। कल्पना करें कि क्या स्टीफन हॉकिंग एक स्पीड टाइपिस्ट या नीलामीकर्ता से भी अधिक तेजी से संवाद कर सकते थे। यही लक्ष्य है।‘

आपको बता दें कि एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने कहा है कि इस प्रोडक्ट का मकसद न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का जीवन सरल करना है। न्यूरालिंक साल 2016 में स्थापित हुई थी। इस कंपनी का लक्ष्य है कि इंसानी दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधा संचार चैनल बनाया जाए। इस चिप की मदद से सिर्फ सोचने पर ही सारे डिवाइस काम करने लगेंगे।

Elon Musk की चिप कैसे काम करती है?

एलन मस्क ने बताया कि कैसे इम्प्लांट मस्तिष्क को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि इम्प्लांट शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है।

न्यूरालिंक की चिप इंसानी दिमाग की तरह काम करेगी। इस चिप का उपयोग दिमाग और नवर्स सिस्टम डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों के लिए किया जा सकेगा। अगर सरल शब्दों में कहे तो जैसे इंसानी शरीर के किसी अंग के खराब होने पर उसका ट्रांसप्लांट किया जाता है, वैसे ही ये चिप भी इंसान के दिमाग का ट्रांसप्लांट की तरह काम करेगी। ऐसे में ये चिप चैटजीपीटी (ChatGPT) की तरह इंसान को सुपर ह्यूमन बना पाएगी, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

पिछले साल मिली थी एफीए से मंजूरी

न्यूरालिंक कंपनी की ये चिप ट्रांसप्लांट के जरिए काम करेगी। 5 सिक्कों के साइज की ये चिप सर्जरी के जरिए इंसानी दिमाग में प्लांट की गई है। जानकारी के लिए बता दें कि बीते साल अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्‍ट्रेशन (एफीए) से न्यूरालिंक को मानव क्लीनिकली ट्रायल की मंजूरी मिली थी।

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