Google Map: भारत समेत पूरे विश्व में सैकड़ों लोग किसी न किसी रास्ते को तलाशने के लिए गूगल मैप (Google Map) का सहारा लेते हैं। इसके साथ ही ये ऐप पैदल चलने वाले, बाइक, कार और सार्वजनिक परिवहन से जाने के लिए बेस्ट और छोटा रास्ता बताता है।
ये भी हो सकता है कि आप गूगल मैप्स की इस सर्विस का रोजाना इस्तेमाल करते होंगे। मगर क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि गूगल मैप्स इतने कम समय में आपको एकदम सटीक जानकारी कैसे देता है। इस आर्टिकल में जानिए गूगल मैप्स द्वारा शानदार जानकारी देने के पीछे की क्या तकनीक है।
Google Map करता है पुराने डेटा का उपयोग
गूगल मैप्स यूजर्स को सटीक और फास्ट जानकारी देने के लिए पुराने डेटा का उपयोग करता है। ये कई सालों के दौरान अलग-अलग समय हुआ किसी रास्ते पर उनकी औसत स्पीड के आधार पर निर्धारित होता है। गूगल मैप्स ये जानता है कि किसी रास्ते पर वहां की गाड़ियों की क्या स्पीड है। ऐसे में वह पिछले डेटा के अनुमान पर भविष्य में किसी भी रास्ते पर ट्रैफिक का अंदाजा लगा सकता है।
रियल टाइम डेटा का सहारा
गूगल मैप्स रियल टाइम डेटा का उपयोग करता है। ये डेटा स्मार्टफोन और सेंसर से लिया जाता है। ये सेंसर परिवहन विभाग और ट्रैफिक डेटा कंपनियों द्वारा लगाए जाते हैं। साथ ही एंड्रॉइड डिवाइस से भी गूगल उस समय की जानकारी लेता है। इन सभी डेटा को आपस में जोड़कर गूगल कलर्ड लाइन बनाकर लोगों को ट्रैफिक की जानकारी देता है।
मशीन लर्निंग से देता है संभावित जानकारी
गूगल मैप्स ट्रैफिक का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की भी मदद लेता है। पुराने डेटा और रियल टाइम डेटा का विश्लेषण करने के लिए ये मशीन लर्निंग का सहारा लेता है। इससे डेटा को समझने में आसानी होती है।
Google Map लेता है Waze ऐप की मदद
गूगल मैप्स Waze तकनीक का भी सहारा लेता है। Waze एक नेविगेशन ऐप है, जो कि ड्राइवर्स को ट्रैफिक दुर्घटनाओं, विकलांग वाहनों, मंदी और ट्रैफिक ट्रैप की रिपोर्ट करने में मदद करता है। गूगल ने साल 2013 में Waze ऐप का अधिग्रहण किया था। ऐप की स्क्रीन पर टैप करके या वॉयस कमांड का उपयोग करके ट्रैफिक घटनाओं की रिपोर्ट कर सकते हैं।
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