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Google Passkeys: गूगल ला रहा है पासवर्ड की जगह Passkeys, जानें कैसे करेगी काम और क्या होगा बड़ा फायदा?

Google Passkeys: यूजर्स को अब गूगल की तरफ से पासवर्ड की जगह पासकीज बनाने की सुविधा मिलनी शुरू हो गई है। इसको कैसा बनाना, इसमें और पासवर्ड में क्या अंतर है। सब कुछ यहां बताया गया है।

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Google Passkeys: जब भी हमें किसी चीज को अपने स्मार्टफोन में सुरक्षित करना होता है तो हम पासवर्ड के जरिये सुनिश्चित कर देते हैं कि हमारा कंटेट अब सुरक्षित हो चुका है। लेकिन अब यह तरीका जल्द ही पुराना हो सकता है और वजह है गूगल का नया Google Passkeys सिस्टम। हाल ही में गूगल की तरफ से उसके ब्लॉग में पोस्ट में जानकारी दी गई है कि अब यूजर्स को साइन इन करने के लिए पासवर्ड की जरूरत नहीं होगी बल्कि वह Passkeys के जरिये ही ये काम आसानी से कर पाएंगे।

नोटिफिकेशन से दी जा रही है जानकारी

गूगल Passkeys के बारे में यूजर्स को नोटिफिकेशन के जरिये जानकारी प्रदान कर रहा है। गूगल की तरफ से जो नोटिफिकेशन भेजे जा रहे हैं उन्हें यूजर्स की ओर से पॉजिटिव प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। बता दें, यूजर्स के पास भेजे जा रहे नोटिफिकेशन में पासकीज बनाने का तरीका भी बताया जा रहा है।

Google Passkeys बनाने का तरीका

गूगल पासकीज बनाने के लिए आपको visit g.co/passkeys पर जाना होगा। इसके बाद क्रिएट पासकीज का ऑप्शन आएगा। जिस पर आप क्लिक करेंगे तो ऑटोमैटिकली आफकी जीमेल पर एक कोड भेजा जाएगा। यहां से इसे परमिशन के देने के बाद जो भी निर्देश यहां दिए जाएंगे उनको फॉलो करते हुए पासकीज बनकर तैयार हो जाएगा।

यूजर्स ने माना पासकीज को आसान

गूगल के ब्लॉग पोस्ट में दी गई जानकारी के अनुसार 64 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनको पासवर्ड की तुलना में पासकीज की सहुलियत ज्यादा सुलभ लग रही है। डिफॉल्ट रूप से लाई गई गूगल के फीचर को अच्छा रिस्पॉस मिल रहा है।

ये होगा फायदा?

बता दें, पासकीज की शुरुआत गूगल की तरफ से मई महीने में इसी साल की गई थी। इसमें पासवर्ड की तुलना में फोन का डेटा काफी हद तक सिक्योर हो जाता है। इसमें लॉगिन के लिए बार बार पर्सनल जानकारी नहीं देनी होती है।

पासवर्ड और पासकीज में अंतर

ये दोनों ही टर्म एक दूसरे से मिलते जुलते से लगते हैं लेकिन आपको इन दोनों के बीच का अंतर समझ लेना चाहिए। पासकीज एक ऐसा तरीका होता है जिसमें आपको बार-बार पासवर्ड डालने की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि यह बायोमेट्रिक पर बेस्ड है। जबकि पासवर्ड में PIN, फेशियल रिकग्निशन या फिर फिंगरप्रिंट सेंसर हमें रिक्रिएट करना होता है और जब भी हमें कहीं साइन करना होता है तो इसकी जरूरत पड़ती है।

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