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IND vs AUS 2023: मैच के हर एंगल को कवर करने के लिए किस तरह के कैमरों का होता है इस्तेमाल, यकीनन आप नहीं जानते होंगे!

IND vs AUS 2023: एक क्रिकेट मैच को कवर करने के लिए कितने तरह के कैमरों का उपयोग किया जाता है। क्या आप जानते हैं, अगर नहीं तो इस खबर में देखें पूरी डिटेल

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IND vs AUS 2023

IND vs AUS 2023: 19 नवंबर 2023 रविवार को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आईसीसी वनडे क्रिकेट वर्ल्डकप 2023 का फाइनल खेला जाएगा। दोनों दिग्गज टीमों के बीच ये मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा। आपको बता दें कि दोपहर 2 बजे शुरू होने वाले इस मैच का भारत के लोगों के साथ ही दुनियाभर के क्रिकेट फैंस को इंतजार है।

आप जानते ही होंगे कि एक क्रिकेट मैच के लिए कई सारी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। दुनियाभर में करोड़ों लोगों तक मैच पहुंचाने के लिए हाई तकनीक वाले कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि एक मैच में किस तरह के और कितने कैमरों का उपयोग किया जाता है। आइए इस खबर में जानते हैं।

हर एंगल कवर करने के लिए होता है कई कैमरों का इस्तेमाल

ये तो आप जानते ही होंगे कि टीवी पर या फोन पर आप आराम से मैच देखते हैं, मैच के दौरान आपको कई सारे विजुअल्स और एंगल देखने को मिलते हैं। बल्लेबाज कैसे शॉट मार रहा है या फिर गेंदबाज कैसी बॉलिंग कर रहा है। स्टेडियम में दर्शकों की कैसी स्थिति है। इन सभी के लिए खास कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है।

एक मैच का एक्सपीरियंस शानदार बनाने के लिए कई तरह के कैमरों का इस्तेमाल होता है। इससे लोगों को अच्छा व्यूइंग एक्सपीरियंस मिलता है। जानें कितने तरह के कैमरों का इस्तेमाल होता है-

  • आउटसाइड ब्रॉडकॉस्टिंग स्टूडियो के लिए 1 कैमरा
  • पूरी फील्ड को कवर करने के लिए लगभग 12 कैमरे
  • 6 हॉकआई कैमरे
  • रनआउट वीडियो लेने के लिए 4 कैमरे
  • स्ट्राइक जोन कैप्चर करने के लिए 2 कैमरे
  • स्टंप के पास 4 कैमरे
  • प्रेजेंटेशन के लिए 1 कैमरा

इसके साथ ही बाउंड्री कैमरा, हेलमेट कैमरा, रोबोटिक कैमरा और भी कई तरह के एडवांस कैमरों का इस्तेमाल होता है।

जानिए कैमरों के टाइप और काम

मेन कैमरा: इन मेन कैमरों को स्टेडियम में पूरी प्लानिंग के साथ लगाया जाता है। इनका मुख्य काम मैच के ओवर व्यू को कैप्चर करना है, ताकि मैच के हर वाइड एंगल शॉट को रिकॉर्ड किया जा सके।

बाउंड्री कैमरा: इन कैमरों को बाउंड्री लाइन के पास लगाया जाता है। इन कैमरों का काम फिल्डिंग एक्शन और खिलाड़ियों की मूवमेंट को कैप्चर होता है।

स्टंप कैमरा: इन कैमरों को स्टंप के बीच में लगाया जाता है। इन कैमरों की मदद से बल्लेबाज, बॉलर और विकेटकीपर के बीच की खास जानकारी मिलती है। साथ ही ये स्टंप के पास के स्लोमोशन रिप्ले को भी रिकॉर्ड करते हैं।

स्पाइडर कैमरा:  ये कैमरा एक तरह से हवा में होते हैं और इनका मुख्य काम एरियल शॉट लेना होता है। ये कैमरे स्टेडियम में वर्टिकली और हॉरिजॉन्टिली दोनों तरह से डॉयनैमिक एरियल शॉट्स को कैप्चर करते हैं।

अल्ट्रा स्लो मोशन कैमरा: इन्हें हाई स्पीड कैमरा भी कहा जाता है। ये कैमरे किसी भी मूवमेंट को हाई फ्रेम रेट के साथ रिकॉर्ड करते हैं। इनकी मदद से ही स्लो मोशन रिप्ले देखने में आसानी होती है। इनकी सहायता से ही लोग फोन पर भी खेल के हर पहलू पर नजर रख पाते हैं।

हेलमेट कैमरा: आपने अक्सर देखा होगा कि कई बार खिलाड़ी भी हेलमेट पर कैमरा लगा होता है। साथ ही फील्ड में मौजूद अपांयर भी हेलमेट कैमरे पहनते हैं। इनकी मदद से खेल का फर्स्ट पर्सन व्यू मिलता है।

रोबोटिक कैमरा: ये कैमरे रिमोट कंट्रोल के जरिए मैनेज किए जाते हैं। साथ ही इन्हें स्टेडियम में कई जगहों पर लगाया जाता है। इनकी मदद से खेल के एडजेस्टेबल एंगल को कैप्चर किया जाता है। साथ ही इनका उपयोग किसी खास शॉट को रिकॉर्ड करने के लिए भी किया जाता है।

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