Personal Data: इस डिजिटल युग में तेजी से तकनीक बदल रही है। ऐसे में जहां लोग अब नई-नई तकनीक पर काम कर रहे हैं। ये नई तकनीक जहां लोगों के काम को आसान कर रही हैं, वहीं, दूसरी ओर लोगों के लिए ही खतरा भी बन रही हैं। ऐसे इसलिए क्योंकि साइबर वर्ल्ड में अब काफी तेजी से साइबर क्राइम बढ़ रहा है। साइबर अपराध बढ़ाने में नई तकनीक का सबसे बड़ा हाथ है। इसमें लोगों के पर्सनल डेटा (Personal Data) का काफी जबरदस्त तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में आने वाले समय में निजी डेटा गोल्ड, फ्यूल और किसी लग्जरी कार से भी अधिक महंगा बिकेगा। निजी जानकारियां काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है।
बहुत कीमती है पर्सनल डेटा
निजी जानकारियां कितनी अहम है, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस डेटा में बैकिंग, मेडिकल, बायोमेट्रिक डिटेल, आईडी नंबर, फोटो और सोशल जानकारियां मिलेंगी। इस डेटा से कंपनियों को पता चल जाएगा कि आपको किस चीज की जरूरत कब पड़ती है। कंपनियां इस डेटा के जरिए अपने टारगेट लोगों के लिए मार्केटिंग कर सकती है। वहीं, साइबर ठग इस डेटा का इस्तेमाल करके आपके साथ ठगी को अंजाम दे सकते हैं।
भारतीयों के निजी डेटा पर खतरा
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि देश के हर 5 में से 1 भारतीय का निजी डेटा लीक होने की कगार पर है। बीते दिनों आपने कही बार खबरों में पढ़ा भी होगा कि लोगों की निजी जानकारियां लीक हो गई है। ऐसे में आपको साइबर क्राइम से बचना चाहिए। इस खबर में समझें कि आप कैसे अपने आपको इससे सुरक्षित रख सकते हैं।
वीक पासवर्ड का इस्तेमाल न करें
साइबर सुरक्षा के विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतर लोग अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स और बैकिंग पासवर्ड को काफी आसान रखते हैं। वह इसमें अपनी जन्म तारीख या फिर किसी आसान नंबर को एड करते हैं। ऐसा करने से साइबर अपराधियों के लिए पासवर्ड क्रैक करना काफी आसान हो जाता है। ऐसे में आपको एक मजबूत पासवर्ड क्रिएट करना है, जिसे क्रैक करना आसान नहीं हो। साथ ही आप उस पासवर्ड को अपने डिवाइस, गूगल अकाउंट, गूगल, गूगल एक्सेल शीट और ईमेल पर सेव न करें।
पुराने सॉफ्टवेयर का उपयोग न करें
आप अपने डिवाइस में पुराने सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से बचे। अक्सर पुराने सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से नए सिक्योरिटी अपडेट नहीं मिलते हैं। इससे साइबर ठगों को क्राइम करने में आसानी हो जाती है। ऐसे में आपको हमेशा लेटेस्ट अपडेट के साथ अपने डिवाइस और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना है।
फिशिंग ईमेल से बचें
साइबर अपराधी आजकल फिशिंग ईमेल का सहारा ले रहे हैं। फिशिंग ईमेल एक तरह का जालसाजी ईमेल होता है, जिसे ओपन करते ही या डाउनलोड करते ही वह डिवाइस की जरूरी जानकारियों का एक्सेस ले लेता है। ऐसे में फिशिंग ईमेल को कभी भी नहीं खोलना चाहिए। स्मार्टफोन पर किसी भी संदिग्ध ईमेल को या लिंक पर क्लिक करने से बचना चाहिए। साइबर ठग अक्सर उस संदिग्ध ईमेल में रैंसमवेयर मालवेयर को जोड़ देते हैं। इससे लोगों के डिवाइस को हैक किया जा सकता है और उनके निजी डेटा पर आसानी से एक्सेस लिया जा सकता है।
अपनी निजी जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिए आपको इन सभी कदमों का ध्यान रखना होगा।
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