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Chandrayaan-3: -200 डिग्री वाली ठंड में भी जाग सकते थे विक्रम और प्रज्ञान, अगर मिशन के साथ भेजा गया होता है ये उपकरण, ये स्‍पेस एजेंसी पहले कर चुका है इसका इस्‍तेमाल

Chandrayaan-3: अगर चंद्रयान-3 के साथ एक 'भट्टी' भेजी जाती तो क्या विक्रम और रोवर जाग जाते ? ये सवाल इसलिए क्योंकि इससे पहले नासा और रूसी एजेंसी रोस्कोस्मोस भी इसका इस्तेमाल कर चुके हैं।

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Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO का चंद्रयान-3 फिलहाल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर निष्क्रिय पड़ा हुआ है। इसके जागने की उम्मीद अब बेहद कम हो गई है। चांद की सतह पर 14 दिनों तक सक्रिय रूप से अपनी खोज करने के बाद दोनों को स्लीप मोड पर डाल दिया गया था। लेकिन, अंधेरी रात खत्म होने के बाद भी दोनों इनएक्टिव पड़े हुए हैं।ISRO वैज्ञानिकों का कहना है कि वे 6 अक्टूबर तक दोनों को जगाने का प्रसास करते रहेंगे।

हीटर’ से जाग सकते थे विक्रम और प्रज्ञान

आशंका जताई जा रही है रात की -200 डिग्री की ठंड में रोवर के उपकरण खराब हो गए हैं। रोवर और विक्रम फिलहाल सो रहे हैं और हर कोई उनके जागने का इंतजार कर रहा है ताकि वे चंद्रमा की खोज फिर से शुरू कर सकें और जीवन की तलाश में और नई खोजें कर सकें। इसी बीच सवाल उठ रहा है की क्या अगर चंद्रयान-3 अपने साथ एक ‘हीटर’ ले गया होता तो दोनों जाग जाते। ऐसा इसलिए क्योंकि, अतीत में नासा और रूसी एजेंसी रोस्कोस्मोस ने ऐसे ही एक उपकरण का इस्तेमाल कर चुके हैं।

NASA भी कर चुका है हीटर इक्विपमेंट का इस्तेमाल

विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल किए गए इस उपकरण को रेडियोआइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (Radioisotope Thermoelectric Generator) कहते हैं। यह एक तरह का हीटर होता है। रूस ने 1970 में अपने पहले चंद्र मिशन में इसका इस्तेमाल किया था। जिसके परिणामस्वरूप उनका रोवर 10 महीनों तक चांद पर टिका रहा था। जबकि, नासा भी कई बार इसका इस्तेमाल कर चुका है।

कैसे काम करता है RTG?

रेडियोआइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (RTG) एक छोटा सा हीटर इक्विपमेंट है, जो अंतरिक्ष यान के अंदर स्थापित किया जाता है। यह रेडियोधर्मी उपकरण अंतरिक्ष में उपकरणों को गर्मी देता है। इससे लंबे समय तक उपकरण को गर्मी दी जा सकती है। इसके एक किलो प्लूटोनियम से 80 लाख किलोवाट बिजली पैदा की जा सकती है। आरटीजी में कोई चलायमान हिस्सा नहीं होता, इसलिए इसमें सर्विसिंग की जरूरत नहीं होती।

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