Chandrayaan-3: सितंबर की शुरुआत से गहरी नींद में गए चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर का सफर अब खत्म होता दिख रहा है। क्योंकि, चांद पर अब दिन ढल रहा है तो कल रात होते ही इन्हें जगाने का प्रयास खत्म हो जाएगा। यानी दोनों को फिर अंधेरी रात का अनुभव करना होगा। पिछले 13 दिनों से ISRO लगातार दोनों को जगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं।
2 अक्टूबर को स्लीप मोड मोड पर गए थे प्रज्ञान-विक्रम
दरअसल, चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। 2 अक्टूबर को प्रज्ञान और विक्रम स्लीप मोड मोड पर चले गए थे। चंद्रमा पर सूरज उगने के बाद से ISRO दोनों को जगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सभी प्रयास फेल होते गए। अब दोनों को जगाने के लिए ISRO के पास बस एक दिन का समय बचा है। हालांकि, अंतरिक्ष एजेंसी पहले ही कह चुकी है कि अगर लैंडर और रोवर एक बार फिर काम नहीं करेंगे तो भी मिशन सफल माना जाएगा। क्योंकि, मिशन को जिस काम के लिए चांद पर भेजा गया था, वो पूरा हो चुका है।
अब तक कई महत्वपूर्ण जानकारी भेज चुका है मिशन
भारत ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के स्थान को ISRO ने “शिव शक्ति पॉइंट” नाम दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 30 सितंबर की रात को इस स्थान पर रात होनी शुरू हो जाएगी। पहली रात का सामना करने के बाद ये प्रज्ञान और विक्रम के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, मिशन 23 अगस्त को उतरने के बाद से कई महत्वपूर्ण जानकारी पृथ्वी पर भेज चुका है।
सौर ऊर्जा से ही एक्टिवेट हो पाएंगे विक्रम और प्रज्ञान
चांद पर रात के दौरान काफी तेज ठंड और घनघोर अंधेरा हो जाता है। माना जाता है कि चांद पर रात में पारा -180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। अब विक्रम और प्रज्ञान को काम करने के लिए सौर ऊर्जा की जरूरत होती है। खास बात है कि विक्रम और प्रज्ञान को धरती पर लौटने के लिए तैयार नहीं किया गया है। ISRO ने कहा था कि अगर रात के बाद दोनों दोबारा काम करने लगते हैं, तो यह बोनस होगा।
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