Viral Video: विज्ञान के बढ़ते कदम के सहयोग से दशकों से एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष की यात्रा करते हैं और अपने अनुभव को लोगों से साझां करते हैं। एक जिज्ञासा लोगों के मन में जरुर रहती है इन यात्रा दिनों में अंतरिक्ष यात्री आखिर खाते क्या हैं? क्या उनके लिए भोजन की सामग्री उनके यान में रखकर ही भेजी जाती है या मन में ये भी प्रश्न आ जाता है कि ज्यादा दिनों की यात्रा में क्या भोजन सामग्री खराब नहीं होती है? ऐसे में हमने सोचा आज हम लोगों के मन में उठ रही इसी तरह के प्रश्न के उत्तर देने की कोशिश करेंगे और बताएंगे की आखिर अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान यात्री क्या खाते हैं। संयुक्त अरब अमीरात के एस्ट्रोनॉट सुल्तान अल-नियादी पिछले कई महीनों से अंतरिक्ष की यात्रा पर हैं और उन्होनें अपने ट्विटर हैंडल से एक दिलचस्प वीडियो (Video) शेयर किया है जिसमें वो ब्रेड के साथ हनी खाते नजर आ रहे हैं। तो आइये उसी तर्ज पर हम समझते हैं कि स्पेश मिशन के दौरान यात्रियों के लिए खाना-पीना कितना मुश्किल होता है।
एस्ट्रोनॉट सुल्तान अल-नियादी के अपने X (ट्विटर) पोस्ट से दी जानकारी
एस्ट्रोनॉट सुल्तान अल-नियादी अपने स्पेश दोरे पर पिछले कई महीनों से हैं। उन्होंने अपने X (ट्विटर) पोस्ट से एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि “क्या आपके मन में ये ख्याल आया है कि अंतरिक्ष में शहद कैसे बनता है?” उन्होनें अपनी इस पोस्ट के दौरान ये भी बताया कि उनके पास कुछ अमीराती शहद बचे हुए है जिनको खाकर वो समय-समय पर आनंद लेते रहते हैं। उन्होनें अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य के शहद के फायदे का जिक्र भी किया। वीडियो देखने पर नजर आ रहा है कि सुल्तान अल-नियादी ब्रेड पर शहद लगा रहे हैं। इस प्रक्रिया के दौरान उन्होनें बोतल को उल्टा करने की बजाय सीधा ही रखा है। बता दें कि अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं होती जिससे की शहद की बोतल को दबाने से लहद निकलकर ब्रेड से चिपक जाता है। इस अनोखे नजारे को देखकर यूजर्स आश्चर्यचकित भी हो रहे हैं।
अंतरिक्ष में यात्रियों को कम प्यास क्यों लगती है?
बता दें कि अंतरिक्ष यात्री अपनी यात्रा के दौरान खाने को लेकर बेहद सतर्क नजर आते हैं। हालाकि इस दौरान उन्हें प्यास कम लगती है। वैज्ञानिक तर्कों की माने तो अंतरिक्ष यात्रा के दौरान प्यास न लगने के मूल कारण यह है कि इस दौरान उनके शरीर के निचले हिस्से में खून कम हो जाता है और हृदय समेत मस्तिष्क के भाग में खून का जमाव अधिक हो जाता है। इससे यात्री पानी की अधिक मात्रा को पहले ही महसूस कर पाते हैं। ऐसे में उन्हें प्यास कम ही लगती है।
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