Afghanistan: भारत के पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में एक और नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। देखा जाए तो अफगानिस्तान कभी आतंकवाद से तो कभी भुखमरी से जूझता रहा है। ऐसे में भारत ने हर वक्त उसकी मदद की है। चाहे वह कोविड संक्रमण की बात हो या भुखमरी की। लेकिन जब से अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्ज़ा किया है, वहां पर हालात बद से बदत्तर होते जा रहे है। न ही वहां पर बच्चों को सही ढंग से शिक्षा मिल पा रही है और न ही हेल्थ सेक्टर में सुधार हो रहा है। ऐसे में अफगानी महिलाओं की उनसे आजादी छीन लेना किसी त्रासदी से कम नहीं है।
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अफगानिस्तान में महिलाओं का हाल ?
जब से तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान आया है तब से लेकर अब तक महिलाओं की दशा खराब प्रतिदिन होती जा रही है। आए दिन महिलाओं को लेकर नियम सख्त किए जा रहे है। ऐसे में महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने की अनुमति न देना तालिबान के लिए बड़ा सवाल है।
महिला पत्रकारों ने क्या खुलासा किया ?
बता दें कि अफगानिस्तान के काबुल से प्रसारित होने वाला (टोलो न्यूज़) एक संचार एजेंसी है। इसी न्यूज़ चैनल पर महिला पत्रकारों ने बातचीत के दौरान यह खुलासा किया कि तालिबान सरकार ने महिला पत्रकारों को अनेकों बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने की अनुमति नहीं दी। हमसे हमारी आजादी छीनी जा रही है। हमें सही ढंग से रिपोर्टिंग और पत्रकारिता नहीं करने दिया जा रहा है। हद दिन महिलाओं के लिए नियम सख्त किए जा रहे है। एक महिला पत्रकार ने तो सरकार से गुजारिश भी की है। हमें हमारी हक़ को दिया जाए ताकि वह अपने साथ दोस्त या भाईयों के साथ मिलकर काम कर सके। यही नहीं महिला पत्रकार ने आगे अनुरोध करते हुए यह भी कहा कि महिलाओं को हर क्षेत्र में भाग लेने दिया जाए।
वही तालिबान की सुरक्षा समिति के प्रमुख अब्दुल कादीम ने सफाई देते हुए कहा यह महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला है। ऐसे में किसी भी प्रकार का भेदभाव ठीक नहीं है।
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