Air India Kanishka: कनाडा में एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट की 39वीं बरसी को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। इस दौरान कनाडा में भारतीय उच्चायोग के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने ओटावा में एयर इंडिया की उड़ान कनिष्क 182 के पीड़ितों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट की 39वीं बरसी पर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भी घिरते नजर आ रहे हैं। स्थानिय पत्रकार डैनियल बॉर्डमैन ने एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट को लेकर कनाडा सरकार से कई गंभीर सवाद दागे हैं जिसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। ऐसे में आइए हम आपको इस पूरे प्रकरण के बारे में विस्तार से बताते हैं।
Kanishka बम विस्फोट की बरसी पर घिरी कनाडा सरकार
एयर इंडिया कनिष्क 182 उड़ान पर खालिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए बम विस्फोट को 39 वर्ष पूरे हो गए हैं। ऐसे में इस अवसर पर पीएम ‘जस्टिन ट्रूडो’ की सरकार घिरती नजर आई है। स्थानिय कनाडाई पत्रकार डैनियल बॉर्डमैन ने कनाडाई संसद द्वारा सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की बरसी पर रखे गए मौन को लेकर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि आतंकी निज्जर की बरसी पर कनाडाई संसद द्वारा मौन रखना एक नैतिक उपहास है। इस आसान भाषा में समझें तो कनाडा सरकार में खालिस्तानी घुसपैठ है।
पत्रकार डैनियल बॉर्डमैन ने कनाडा सरकार से गंभीर सवाल दागते हुए ये भी कहा कि “आतंकवाद और धोखाधड़ी के लिए जिस व्यक्ति को दो बार कनाडा आने से मना किया गया उसे फिर कैसे छोड़ा गया?”
आतंक का विरोध करना बेहद जरूरी
कनाडाई पत्रकार डैनियल बॉर्डमैन ने एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट की 39वीं बरसी पर कहा कि “कनिष्क बम विस्फोट में 329 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें से 280 कनाडाई नागरिक भी थे। ऐसे में घटना में शामिल पीड़ितो का समर्थन करना हमारा दायित्व है।
कनाडाई पत्रकार की ओर से ये भी कहा गया है कि “कनिष्क बम विस्फोट का समर्थन करने वाले व आतंकी विचारधारा वाले लोगों का विरोध भी बेहद जरुरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आगामी समय में एक खास विचारधारा से प्रेरित समाज अपने पांव तेजी से पसार लेगा।”
कनिष्क बम विस्फोट हादसा क्या है?
आज से 39 वर्ष पूर्व एयर इंडिया की कनिष्क 182 उड़ान को खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा बम से हवा में ही नष्ट कर दिया गया था। इस हादसे में कुले 329 लोगों की मौत हो गई थी जिसमें 268 कनाडाई, 27 ब्रिटिश और 24 भारतीय नागरिक भी शामिल थे। दावा किया जाता है कि खालिस्तानी आतंकियों के इस कृत्य की जानकारी कनाडाई अधिकारियों को पहले से थी। ऐसे में कनाडा सरकार पर खालिस्तानी समर्थन व अन्य पहलुओं से जुड़े खई तरह के आरोप लगते हैं।