BRICS vs NATO: रूस के 8वें सबसे अधिक आबादी वाले शहर कजान (Kazan) में आज दुनिया के तमाम ताकतर राष्ट्राध्यक्षों का जमावड़ा लगा है। वोल्गा और काजानका नदी के संगम पर स्थित कजान की सुरक्षा व्यवस्था भी चका-चौंध है। इसका खास कारण है ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit 2024) का आयोजन जिसकी अध्यक्षता रूस (Russia) कर रहा है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में 36 ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे है।
इसमें पीएम मोदी (PM Modi), शी जीनपिंग (Xi Jinping), ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजश्कियान (Masoud Pezeshkian), तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdoğan) समेत अन्य नेता शामिल हैं। ब्रिक्स समिट में जुटे इन सभी राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) कर रहे हैं। पुतिन के इस कदम से कई सवाल भी उठ रहे हैं। ब्रिक्स समिट (BRICS vs NATO) को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का एक विकल्प भी बताया जा रहा है और सवाल पूछा जा रहा है कि क्या इससे अमेरिका (America) को चिंतित होना चाहिए?
BRICS Summit 2024 में PM Modi, Xi Jinping समेत इन नेताओं की मेजबानी कर रहे Vladimir Putin
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की शुरुआत 22 अक्टूबर से हो चुकी है। इसका समापन 24 अक्टूबर यानी आगामी कल होना है। इस सम्मेलन में दुनिया के 36 देश भाग ले रहे हैं और जिनमें 20 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष कजान शहर पहुंचे हैं। राष्ट्राध्यक्षों में प्रमुख रूप से पीएम मोदी (PM Modi), शी जीनपिंग (Xi Jinping), मसूद पेजश्कियान (Masoud Pezeshkian), रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdoğan) जैसे नेताओं का नाम शामिल है। वहीं मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अजरबैजान और मलेशिया जैसे देश भी इस सम्मेलन का हिस्सा बने हैं।
ब्रिक्स समिट में जुटे इन नेताओं की मेजबानी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा की जा रही है। इस समिट के सहारे पुतिन अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों को संदेश देना चाहते हैं। दावा किया जा रहा है कि इस कदम से यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine War) में रूस के प्रभाव का विस्तार हो सकेगा और उसका पक्ष और मजबूत होगा।
America व पश्चिमी देशों के सामने एक नया विकल्प
रूस (Russia) ब्रिक्स समूह के रूप में अमेरिका व पश्चिमी देशों के संगठन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के समक्ष एक विकल्प पेश करने को आतुर नजर आ रहा है। यही वजह है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन, ब्रिक्स समिट में शामिल होने पहुंचे भारत, चीन, तुर्की, मिस्र, ईरान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश के नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि रूस ‘ब्रिक्स’ को अमेरिका के समक्ष एक नए व उभरते हुए विकल्प के रूप पेश कर रहा है। (BRICS vs NATO)
BRICS vs NATO- US के लिए चिंता का विषय क्यों?
अमेरिका पश्चिमी देशों के साथ दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपना प्रभुत्व कायम रखने को आतुर नजर आता है। इसी क्रम में नाटो (NATO) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 12 देशों द्वारा की गई थी। इस समूह में अभी UK, रोमानिया, स्लोवाकिया, पॉलैंड, इटली, जर्मनी, क्रोएशिया, बेल्जियम, आइसलैंड, कनाडा, अलबेनिया, ग्रीस, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडेन, अमेरिका, हंगरी, डेनमार्क, लक्समबर्ग और बुलगेरिया समेत अन्य कुछ पश्चिमी देश शामिल हैं।
NATO की बात करें तो अभी इसमें अमेरिका का दबदबा नजर आता है और अन्य पश्चिमी देश सदस्य के रूप में अपनी सहभागिता दर्ज कराते हैं। ऐसे में अब दुनिया में ‘ब्रिक्स’ देशों (रूस, ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, तुर्किये, अजरबैजान, मलेशिया) का उभरना निश्चचित रूप से शक्ति के बंटवारे का भी प्रतीक माना जा रहा है जो कि अमेरिका के लिए चिंता का विषय बताया जा रहा है।
Israel-Iran Conflict के बीच BRICS Summit 2024 का आयोजन
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन ऐसे दौर में हो रहा है जब मध्य पूर्व (Middle East) में तनातनी है। इजराइल और हमास (Israel-Hamas War) के बीच छिड़ी जंग अब लेबनॉन (हिजबुल्लाह) से होते हुए ईरान (Iran) तक पहुंच गई है।
ब्रिक्स समिट (BRICS Summit 2024) की बात करें तो ईरान इस समूह का सदस्य है और यही वजह है कि ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजश्कियान (Masoud Pezeshkian) भी कजान पहुंचे हैं। ऐसे में इजराइल-ईरान (Israel-Iran Conflict) के बीच छिड़े संघर्ष में ईरानी राष्ट्राध्यक्ष की विश्व के तमाम ताकवर राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात और चर्चा होना निश्चचित रूप से अमेरिका, इजराइल व अन्य पश्चिमी देशों के लिए थोड़ी चिंताजनक बात है।