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Climate Change Report: ग्रीनहाऊस गैसों से पूरी दुनिया प्रभावित, बाढ़, सूखा और हीटवेव ने फसलों के उत्पादन में की भारी कमी

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Climate Change Report

Climate Change Report: भारत समेत पूरी दुनिया इस वक्त गर्मी बढ़ने से परेशान है। जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों से भारत के साथ-साथ पूरा विश्व जूझ रहा है। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। WMO ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कई अहम बिंदुओं पर चिंता जाहिर की है।

ग्रीनहाऊस गैसों का लेवल काफी बढ़ा

WMO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2022 में ग्रीनहाऊस गैसों इनमें कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और मिथेन गैसों के लेवल में भारी इजाफा देखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूखा, बाढ़ और हीटवेव ने भारत समेत हर महाद्वीप पर लोगों को प्रभावित किया है। इससे बचने के लिए इन देशों ने अरबों रुपये खर्च किए। रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान अंटार्कटिका में इस बार सबसे कम बर्फ गिरी और कई यूरोपियन ग्लेशियर तेजी से पिघले।

तापमान में 1.5 डिग्री की वृद्धि

WMO के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा कि जैसे-जैसे इन ग्रीनहाऊस गैसों का स्तर बढ़ रहा है। वैसे-वैसे पूरे विश्व की आबादी इस गंभीर संकट की गिरफ्त में आ रही है। उन्होंने कहा कि साल 2022 का औसत तापमान 1850-1900 से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया है।

फसलों के उत्पादन में आई गिरावट

WMO के महासचिव ने कहा कि इसका असर ये हो रहा है कि पूर्वी अफ्रीका में लगातार सूखा, पाकिस्तान में भयानक बारिश, यूरोपियन देशों और चीन में रिकॉर्डतोड़ गर्मी ने सभी को काफी बुरे तरीके से प्रभावित किया है। इससे करोड़ों लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। वहीं, फसलों के उत्पादन पर भी साफ प्रभाव देखा गया है। इससे बड़े स्तर पर लोगों का पलायन बढ़ा है।

प्री-मॉनसून के दौरान हीटवेव का कहर

उधर, भारत में 2022 के दौरान मॉनसून ने समय से पहले दस्तक दी। मगर मॉनसून गया अपने समय के बाद। वहीं, भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी प्री-मॉनसून समय में सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ी। सामान्य से अधिक गर्मी अनाज के उत्पादन को घटाने का काम करती है। वहीं, दूसरी तरफ भारत के उत्तराखंड में जंगलों में बढ़ती आग की घटना ने भी गर्मी को बढ़ाने का काम किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान में प्री-मॉनसून के दौरान हीटवेव ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया।

1700 लोगों की मौत

फसलों के उत्पादन में कमी के चलते गेहूं और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य उत्पादों में भारी कमी देखी गई। वहीं, जुलाई और अगस्त के दौरान सामान्य से अधिक बारिश ने कई हिस्सों में बाढ़ लाने का काम किया। इस दौरान 1700 लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं, 33 मिलियन लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित हुए।

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