Crude Oil: दुनिया में लगातार कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। ऐसे में खाड़ी देश और कच्चे तेल के उत्पादक देशों में से एक सऊदी अरब ने कहा है कि वह मई 2023 से लेकर इस साल के अंत तक तेल उत्पादन में हर रोज पांच लाख बैरल की कटौती करेगा। इसके साथ ही ओपेक समूह (OPEC) के अन्य देश संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और कुवैत ने भी कच्चे तेल के उत्पादन में कुल मिलाकर 11.5 लाख बैरल की कमी लाने का निर्णय लिया है।
जानिए सऊदी अरब ने क्या कहा
ओपेक देशों द्वारा रविवार को लिए गए इस फैसले से आज कच्चे तेल की कीमतों पर साफ तौर पर असर देखा गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आज 8 फीसदी का उछाल देखा गया।
ओपेक सदस्यों के इस फैसले के बाद सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस फैसले से कच्चे तेल के बाजार को स्थिर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का निर्णय ओपेक और गैर-ओपेक देशों की आपसी मंजूरी से लिया जाएगा।
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अमेरिका से रिश्तों पर पड़ सकता है असर
गौरतलब है कि पूरी दुनिया पहले से ही रूस और यूक्रेन के युद्ध् के चलते ऊंची महंगाई दर का सामना कर रही है। ऐसे में अचानक से ओपेक सदस्यों द्वारा तेल उत्पादन में कमी लाने का फैसला दुनियाभर महंगाई को और बढ़ा सकता है। दूसरी ओर सऊदी अरब के इस फैसले से अमेरिका के साथ उसके संबंध और तल्ख हो सकते हैं।
मालूम हो कि इससे पहले सऊदी अरब ने पिछले साल अक्टूबर 2022 में कच्चे तेल के उत्पादन में कमी लाने का फैसला लिया था। इससे अमेरिका और सऊदी अरब के बीच काफी नाराजगी देखी गई थी, क्योंकि उस दौरान अमेरिका में मध्यावधि चुनाव होने वाले थे और अमेरिका में बढ़ती महंगाई एक बड़ा मसला बना हुआ था।
पाकिस्तान कर रहा ये तैयारी
इसके अलावा दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भारत की तरह ही रूस से कच्चा तेल खरीदने की प्लानिंग बनाई है। खबरों की मानें तो पाकिस्तान के पेट्रोलिमय राज्य मंत्री मुसादिक मलिक ने कहा है कि पाकिस्तान अगले महीने रूस को कच्चे तेल का पहला ऑर्डर देने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, पहले ऑर्डर को पाकिस्तान पहुंचने में लगभग 4 हफ्तों का समय लगेगा। ध्यान रहे कि पाकिस्तान वर्तमान में कमजोर मुद्रा और भारी-भरकम विदेशी लोन से दबा हुआ है। ऐसे में वह कम दरों पर तेल आयात करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
भारत पर क्या होगा इसका प्रभाव
ओपेक देशों के इस फैसले से भारत पर भी सीधा असर होगा, क्योंकि भारत में तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए अधिकतर हिस्सा आयात किया जाता है। ऐसे में जब कच्चे तेल के उत्पादन में कमी आएगी तो पेट्रोल औऱ डीजल की कीमत बढ़ सकती है। साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों से जुड़ी चीजों पर भी इसका साफ प्रभाव देखा जा सकता है। ऐसे में तेल महंगा होने से देश में महंगाई दर में इजाफा हो सकता है। इसके बाद महंगाई दर को काबू करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा।
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