Donald Trump: पदभार संभालने के पहले ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति Donald Trump ने कई देशों की मुश्किलें बढ़ा दी है उन्हें परेशानी में डाल दिया है। गौरतलब है कि ट्रंप कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते है। इसी बीच ट्रंप ने BRICS देशों को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए नई करेंसी बनाने पर रोक लगा दी है। जिसके बाद ब्रिक्स देशों के पसीने छूटने लगे है। दरअसल ब्रिक्स के कई देश नई करेंसी बनाने की सोच रहे थे जिसपर अब डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्ण विराम लगा दिया है। वहीं अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या दुनिया में करेंसी वॉर शुरू हो गया है।
Donald Trump ने BRICS देशों को दी चेतावनी
दरअसल अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक्स हैंडल पर BRICS देशों को चेतावनी जारी करते हुए लिखा कि “यह विचार खत्म हो गया है कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि हम खड़े होकर देखते रहते हैं। हमें इन देशों से एक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है कि वे न तो एक नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर को बदलने के लिए किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे या, उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, और अद्भुत अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बेचने के लिए अलविदा कहने की उम्मीद करनी चाहिए।
इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा, और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए”।
Donald Trump के बयान के बाद क्या दुनिया में करेंसी वॉर होगा शुरू?
आपको बता दें कि रूस चीन समेत भारत भी ब्रिक्स देशों का हिस्सा है। वहीं रूस और चीन अमेरिकी डॉलर का विकल्प ढूंढ रहे है। गौरतलब है कि यह देश खुद की एक ब्रिक्स करेंसी बनाने में लगे हुए है, जिसके बाद Donald Trump की इसपर प्रतिक्रिया आई है। वहीं अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या दुनिया में नया वॉर यानि करेंसी युद्ध शुरू होने वाला है। हालांकि यह तो आने वाला ही समय बता पाएगा कि BRICS देश डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान के बाद क्या प्रतिक्रिया देते है।
अमेरिकी डॉलर पर क्या है भारत की राय
वैसे तो Donald Trump और PM Modi काफी अच्छे दोस्त है, बता दें कि भारत भी ब्रिक्स का हिस्सा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अमेरिकी डॉलर को लेकर कहा था कि ‘कभी-कभी डॉलर का उपयोग मुश्किल हो जाता है। हमारे कुछ व्यापारिक साझेदार हैं, जिनके साथ अमेरिका की नीतियों के कारण डॉलर में व्यापार करना मुश्किल हो जाता है’। हालांकि जयशंकर ने ब्रिक्स मुद्रा को अपनाने के बारे में कड़ी आपत्ति व्यक्त की थी।