G20 Summit: भारत और कनाडा के बीच रिश्तों की तनातनी लगातार बढ़ रही है और दोनों देशों ने अब अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी है। यह पहली दफा नहीं है जब खालिस्तानियों के खिलाफ कनाडा समर्थन दे रहा है। हालांकि इस बार माहौल कुछ अलग है क्योंकि जस्टिन ट्रूडो खुद आतंकी के समर्थन में भारत के खिलाफ नजर आ रहे हैं। वहीं इस सबके मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि जी-20 सम्मेलन के दौरान ही कनाडा के प्रधानमंत्री नाराज और परेशान नजर आ रहे थे। वहीं अब खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह मेजर की हत्या के बाद यह मामला और भी गंभीर होता जा रहा है। दरअसल इस खालिस्तानी की हत्या के पीछे भारत को जिम्मेदार बताने वाले पीएम ट्रूडो के बयान की वजह से वह चर्चा में हैं।
भारतीय सुरक्षा को लेने से किया था इंकार
जब जी-20 सम्मेलन के दौरान ट्रूडो भारत आए थे तो उन्होंने ललित होटल में सुरक्षा लेने से मना कर दिया था। हालांकि इस बारे में कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। वे दो दिनों तक होटल से बाहर नहीं निकले थे लेकिन उन्होंने भारतीय सुरक्षा नहीं लिया था। सूत्रों की माने तो वे होटल में काफी परेशान नजर आ रहे थे लेकिन खुद को कनाडा की सुरक्षा घेरे में रखा था।
राष्ट्रपति की ओर से डिनर में भी नहीं हुए थे शामिल
बता दे कि ट्रूडो 9 सितंबर को जी-20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए सुबह 9 बजे होटल से निकले थे और 4:30 बजे वापस आ गए। वहीं चौकाने वाली बात यह रही कि वह राष्ट्रपति की ओर से प्रगति मैदान में दिए गए डिनर में भी शिरकत करने नहीं पहुंचे थे। वहीं 10 सितंबर को वह राजघाट गए और वहां से सम्मेलन में जाने के बाद वापस होटल चले गए।
होटल में रखा था कनाडा पीएम ने खुद को बंद
गौरतलब है कि जब होटल से एयरपोर्ट जाने के लिए कर्नाटक के प्रधानमंत्री निकले तो उनका जहाज खराब हो गया और फिर उन्हें भारत में ही ठहरना पड़ा। कहा जाता है कि लगभग 2 दिन तक वह होटल से बिल्कुल भी बाहर नहीं नजर आए। यहां तक कि उन्होंने कहीं भी जाने से मना कर दिया। यह बात काफी चौंकाने वाली है कि जब मेहमानों के लिए लग्जरी होटल में स्वेट बुक थे फिर भी रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि ट्रूडो ने ललित होटल की बजाय अपने होटल का इस्तेमाल किया। उन्होंने उसे खुद से बुक किया था इस दौरान वह साधारण से कमरे में रहे थे।
ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या को लेकर भारतीय एजेंडों पर उठाया सवाल
इन सब बातों पर इसलिए सवाल उठाए जा रहा हैं और पहेली बनती जा रही है क्योंकि हाल ही में कनाडा की संसद में ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या की जांच करवाने की जानकारी दी है उन्होंने इस दौरान कहा कि भारतीय एजेंडों का इसमें हाथ हो सकता है। वैसे तो भारत में कनाडा के इस आरोप को निराधार बताया है और उग्रवादियों को पनाह देने के भी आरोप लगाए हैं। इससे पहले भी जी-20 सम्मेलन के दौरान भी भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानियों के मुद्दे पर बात हो चुकी है।
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