India China Relations: विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों का नाम बदलने के लिए चीन की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य में मनगढ़ंत नाम रखने से यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि यह भारत का अभिन्न अंग है। गौरतलब है कि चीन ने 7 सालों में चौथी बार नाम बदलने की हिमाकत की है। हालांकि विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। आपको बता दें कि चीन ने अपना हिस्सा बताकर अरूणाचल प्रदेश के 30 जगहों के नाम बदल दिए है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा?
अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के चीन के प्रयास के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि, “हमने सही ही इसे मूर्खतापूर्ण कहा है। ऐसा बार-बार करना अभी भी संवेदनहीन है, इसलिए मैं बहुत स्पष्ट होना चाहता हूं, अरुणाचल प्रदेश था, है , और हमेशा भारत का रहेगा। और मुझे आशा है कि मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि न केवल देश में बल्कि देश के बाहर भी लोगों को यह संदेश बहुत स्पष्ट रूप से मिलेगा।”
चीन अरूणाचल पर अपने दावा क्यों करता है?
आपको बता दें कि चीन शुरू से ही पूरे अरूणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहा है। हालांकि अरुणाचल प्रदेश के साथ भारत की संप्रभुता की पूरी दुनिया की मान्यता है। वही इंटरनेशल मानचित्र पर भी अरूणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न हिस्से के तौर पर देखा जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की बढ़ती ताकत को देखकर चीन ऐसी हरकते कर रहा है। मालूम हो की पीएम मोदी ने हाल ही में अरूणाचल प्रदेश में सेला सुरंग का उद्घाटन किया था।
यू.एस ने माना अरूणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा
आपको बता दें कि चीनी सेना द्वारा अपना दावा दोहराए जाने के कुछ दिनों बाद, बिडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार अपने क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के चीन के किसी भी एकतरफा प्रयास का दृढ़ता से विरोध करता है। गौरतलब है कि पीएम मोदी ने हाल ही में अरूणाचल प्रदेश का दौरा किया था। जहां उन्होंने सेला टनल का उद्घाटन किया। जिसपर चीन ने विरोध जताया था।
पीएम मोदी ने सेला टनल का किया था उद्घाटन
9 मार्च को, प्रधान मंत्री मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया, जो रणनीतिक रूप से स्थित तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और सीमावर्ती क्षेत्र में सैनिकों की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित करने की उम्मीद है। वहीं इस टनल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह एलएसी से बिल्कुल सटा हुआ है। माना जा रहा है कि इस सुरंग के बनने से चीन सीमा तक की दूरी लगभग 10 किमी तक कम हो जाएगी। ये एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के नजदीक बनी है, जिससे चीन सीमा तक जल्दी पहुंचा जा सकेगा। गौरतलब है कि इसी को लेकर चीन ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
भारत-चीन गलवान झड़प
15 जून की शाम को भारत और चीन के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में आमना-सामना हुआ, जिसे पिछले चार दशकों में सबसे घातक झड़प माना जाता है। इस घटना में एक पैदल सेना बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर सहित बीस भारतीय सैनिकों की जान चली गई। वहीं भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को धूल चटाकर पीछे कर दिया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 38 से भी अधिक जवानों की मौत हो गई थी।
मोदी राज में चीन की निकली हवा
अगर हम कोरोना काल की बात करे तो कोरोना काल में भारत ने अपना दम दिखाते हुए खुद की वैक्सीन की खोज की। इसके अलावा चीन जैसे देश को मदद मुहैया कराई। गौरतलब है कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से वह अपनी सीमाओं को मजबूत करने में लगे हुए है। चाहे वह अरूणाचल प्रदेश हो या फिर जम्मू कश्मीर। गौरतलब है कि इसी का विरोध चीन बार बार करता हुआ नजर आता है। चीन कभी नहीं चाहता की भारत LAC के आस- पास सड़कों का निर्माण करें। शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन आर्थिक रूप से और साथ ही राजनीतिक रूप से भी नीचे चला गया है। इसके विपरीत, पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत आर्थिक और राजनीतिक रूप से विकसित हुआ है और भारत चीन जैसी आक्रामक शक्तियों से निपटने के लिए आवश्यक वैश्विक ताकत हासिल करने की राह पर है।