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क्या Netanyahu और Ayatollah Ali Khamenei की तनातनी के कारण हम तीसरे विश्व युद्ध की और बढ़ रहे है? जानें भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना पड़ सकता है असर

Iran Israel Conflict: इज़राइल ने शनिवार को लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के खिलाफ जारी है।कमांड सेंटर, हथियार भंडार पर निशाना बनाया।

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Iran Israel Conflict
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Iran Israel Conflict: इज़राइल ने शनिवार को लेबनान में ईरान (Iran Israel Conflict) समर्थित हिजबुल्लाह (hezbollah) के खिलाफ अपना अभियान जारी रखा और कमांड सेंटर, हथियार भंडार, सुरंगों और अन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर कई तीव्र हमले किए। विस्फोटों ने दक्षिणी बेरूत और आसपास के इलाकों को दो घंटे से अधिक समय तक हिलाकर रख दिया।

हिजबुल्लाह पर हमला और तेज

Israel द्वारा हिजबुल्लाह के कई ठिकानों पर लगातार हमले किए जा रहे है। जिसके कारण दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ गई है। आपको बता दें कि इजरायल ने बीते दिन यानि 5 अक्टूबर को लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के खिलाफ अपना अभियान जारी रखा और कमांड सेंटर, हथियार भंडार, सुरंगों और अन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर कई तीव्र हमले किए। हमला इतना जोरदार था कि 2 घंटे तक Beirut और उसके आसपास के इलाकों को हिला के रख दिया था। इसी बीच ईरान (Iran Israel Conflict) के मैदान में आने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या तीसरा विश्व युद्ध शुरू होने वाला है।

नेतन्याहू ने हिजबुल्लाह को खत्म करने का संकल्प लिया

मालूम हो कि इजरायली सेना अपने टैंकों के साथ लेबनान में घुस चुकी है, और हिजबुल्लाह (hezbollah)के कई ठिकानों को भी तब कर दिया है। बता दें कि इससे पहले इजरायली पीएम नेतन्याहू ने अपने एक बयान में कहा था कि जरायल ने संकल्प लिया है कि जब तक वो हमास और हिजबुल्लाह को मिटा नहीं देगा, तब तक युद्ध नहीं थमेगा। गौरतलब है कि अब इसका असर भी देखने को मिल रहा है। इजरायल ने हिजबुल्लाह पर लगातार हमले तेज कर दिए है।

Ayatollah Ali Khamenei के हाथ में दिखा था बंदूख

Ayatollah Ali Khamenei हाथ में बंदूक लेकर दृढ़ता से चले, उन्होंने वादा किया कि ईरान और उसके सहयोगी इजरायली क्रूरता के सामने पीछे नहीं हटेंगे। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई न केवल इज़राइल पर हमास के हमले का बचाव कर रहे थे, बल्कि तेहरान के सहयोगियों के लिए अडिग समर्थन का संकेत भी दे रहे थे, इस मामले में, आतंकवादी समूह, हिज़्बुल्लाह से शुरू होते हैं।

Ayatollah Ali Khamenei ने कहा, ”हमें अपने अटूट विश्वास को मजबूत करते हुए दुश्मन के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। ” उन्होंने कहा, “हमारे सशस्त्र बलों द्वारा उठाया गया कदम ज़ायोनी शासन के अपराधों के सामने सबसे कम सज़ा थी। (Iran Israel Conflict) ईरान में सर्वोच्च अधिकार रखने वाले खमेनेई ने आगे कहा, “कुछ रात पहले हमारे सशस्त्र बलों की शानदार कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी और वैध थी।” उन्होंने 7 अक्टूबर के हमले की निंदा करते हुए इसे इजरायली कब्जे के खिलाफ एक विद्वेषपूर्ण कार्रवाई बताया, लेकिन इससे क्षेत्र में स्थिति और बिगड़ गई।

क्या हम तीसरे विश्व युद्ध की और बढ़ रहे है?

गौरतलब है कि नेतन्याहू और ईरान के सुप्रीम लीडर Ayatollah Ali Khamenei के बीच जारी तनातनी ने एक बार फिर दुनिया के लिए खतरा पैदा कर दिया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या तीसरा विश्व युद्ध होने जा रही है। बीते कुछ दिनों से जारी तनातनी से तो यही उम्मीद लगाई जा रही है कि ईरान और इजरायल दोनों में से कोई भी देश शांत नहीं बैठने है। लेकिन अगर तीसरी विश्व युद्ध होता है तो सुपर पावर देश का रूख हो सका है, और कौन सा सुपर पावर देश किसका साथ देगा। आईए समझते है।

सुपर पावर देश किसके साथ

अमेरिका

राष्ट्र के अस्तित्व के बाद से ही अमेरिका इजराइल का सबसे अच्छा दोस्त रहा है और उसने राष्ट्र के लिए अपनी सैन्य सहायता, खुफिया जानकारी और राजनीतिक समर्थन बरकरार रखा है। जैसे-जैसे संघर्ष और बढ़ेगा, अमेरिका सीधे तौर पर मैदान में आ सकता है, खासकर अगर ईरान द्वारा समर्थित हिजबुल्लाह, इजरायली शहरों पर हमले करना जारी रखता है। पहले से ही, बिडेन प्रशासन ने इज़राइल के साथ एकजुटता के संकेत के रूप में पूर्वी भूमध्य सागर में अधिक नौसैनिक बल भेजे हैं।

रूस

मॉस्को और तेहरान के बीच संबंध मजबूत हैं और यहां तक ​​कि उन्होंने सीरिया में ईरान के सैन्य हस्तक्षेप का भी समर्थन किया है, जहां ईरानी सेना और हिजबुल्लाह भी जमीन पर हैं। वर्तमान युद्ध पर रूस की स्थिति अस्पष्ट है। फिर भी, ईरान के संबंध में उसकी पिछली स्थिति उसे पुनर्विचार करने पर मजबूर कर सकती है, खासकर यदि वाशिंगटन इस मामले में अपनी भागीदारी मजबूत करना जारी रखता है।

चीन

हालाँकि चीन पारंपरिक रूप से मध्य पूर्व के संघर्षों के प्रति तटस्थ रहा है, लेकिन वह इस क्षेत्र में आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव बढ़ा रहा है। इसलिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन के भी इसमें शामिल होने की संभावना है। बीजिंग के ईरान और इज़राइल दोनों में महत्वपूर्ण आर्थिक हित हैं और वह संभवतः अपने व्यापार मार्गों और ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधान को रोकने के लिए राजनयिक समाधानों पर जोर देगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना पड़ सकता है असर

गौरतलब है कि अभी भारत दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर इजरायल और ईरान में युद्ध होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा, तो आपको बता दें कि भारत ईजरायल और ईरान दोनों से ही आयात और निर्यात करता है। वैश्विक तेल आपूर्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवरोध बिंदुओं में से एक संघर्ष क्षेत्र-होर्मुज़ जलडमरू मध्य के पास स्थित है। कोई भी बड़ी वृद्धि तेल टैंकरों के सुरक्षित मार्ग को खतरे में डाल सकती है, जिससे भारत और अन्य तेल आयातक देशों के लिए ऊर्जा लागत बढ़ सकती है।

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