Islamophobia: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस्लामोफोबिया पर पाकिस्तान द्वारा पेश और चीन द्वारा सह-प्रायोजित एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को इस्लामोफोबिया से लड़ने के लिए एक प्रस्ताव अपनाया। आपको बता दें कि पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव को पेश किया था। यूएन के इस प्रस्ताव पर 115 सदस्यों ने पक्ष में वोट किया। वहीं 44 अनुपस्थित रहे और कोई वोट विपक्ष में नही पड़ा। वहीं भारत ने इस मुद्दे पर मतदान से परहेज किया। हालांकि भारत ने यह साफ कर दिया कि भारत किसी भी एक धार्मिक फोबिया के खिलाफ नही खड़ा वह सभी धार्मिक फोबिया के खिलाफ खड़ा है।
अन्य धर्म भी भेदभाव और हिंसा का शिकार हो रहे है
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि “इस्लामोफोबिया का मुद्दा निस्संदेह महत्वपूर्ण है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अन्य धर्म भी भेदभाव और हिंसा का सामना कर रहे हैं। केवल इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए संसाधनों का आवंटन, जबकि अन्य धर्मों के सामने आने वाली समान चुनौतियों की उपेक्षा करना, अनजाने में बहिष्कार और असमानता की भावना को कायम रख सकता है। इसके अलावा कंबोज ने कहा कि भारत, सभी हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी भावनाओं के खिलाफ खड़ा है,” जिसमें यहूदी विरोधी भावना, ईसाई धर्म से डर शामिल है”।
धार्मिक भय की व्यापकता को स्वीकार करें
कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि “यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि 1.2 बिलियन से अधिक अनुयायियों वाला हिंदू धर्म, 535 मिलियन से अधिक अनुयायियों वाला बौद्ध धर्म और दुनिया भर में 30 मिलियन से अधिक अनुयायियों वाला सिख धर्म, सभी धार्मिक भय के अधीन हैं। अब समय आ गया है कि हम केवल एक को उजागर करने के बजाय, धार्मिक भय की व्यापकता को स्वीकार करें”। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी भावनाओं के खिलाफ खड़े हैं”।