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Israel-Hamas War की पहली बरसी! मिडिल इस्ट में खींचतान के बीच हासिल क्या? जानें भविष्य में भारत पर कैसे पड़ सकता है असर?

Israel-Hamas War: इजराइल और हमास के बीच छिड़े जंग को आज एक वर्ष हो गए। इस दौरान हम आपको बताएंगे कि जंग के दौरान दोनों का हासिल क्या रहा है?

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Israel-Hamas War
सांकेतिक तस्वीर

Israel-Hamas War: मिडिल इस्ट में इजराइल और ईरान के बीच घमासान का दौर जारी है। हालाकि इसकी शुरुआत आज से ठीक एक वर्ष पहले 7 अक्टूबर 2023 को हुई थी जब हमास की ओर से इजराइल (Israel) पर रॉकेट दागे गए थे। हमास की ओर से किए गए इस हमले में हजार से ज्यादा इजराइली नागरिक मारे गए थे जबकि 200 से ज्यादा इजराइली नागरिकों को हमास ने बंधक बनाया था। चरमपंथी संगठन हमास (Israel-Hamas War) की ओर से शुरू की गई जंग की दास्ता खूनी वॉर में बदली और इजराइल ने भी बदले में गाजा (Gaza) पट्टी पर ताबड़तोड़ हमला किया।

इजराइल की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में अब तक 41870 फिलिस्तीनीयों (Palestinians) के मारे जाने की खबर है। इसकी जानकारी गाजा (हमास-Hamas) के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई है। ऐसे में आज इजराइल और हमास (Israel-Hamas War) के बीच छिड़ी जंग की पहली बरसी पर हम आपको बताएंगे कि मिडिल इस्ट (Middle East) में खींचतान के बीच दोनों का हासिल क्या रहा है और इसका प्रभाव आगामी समय में भारत पर कैसे पड़ सकता है?

कैसे हुई Israel-Hamas War की शुरुआत?

इजराइल और हमास (Israel-Hamas War) के बीच संघर्ष का एक पुराना इतिहास रहा है। इजराइल शुरू से ही हमास को आतंकी संगठन के रूप में देखता है और उसके खात्मे की बात करता है। इसी क्रम में पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को हमास ने अपने प्रतिद्वंदी इजराइल पर निशाना साधते हुए दक्षिणी इजराइल (Israel) के हिस्से में रॉकेट दागे थे। इस हमले में हजार से ज्यादा इजराइली नागरिकों की मौत हुई और 200 से ज्यादा इजराइलियों को हमास (Hamas) ने बंधक बनाया था जिन्हें छुड़ाने के लिए इजराइल आज भी अपनी लड़ाई लड़ रहा है।

Israel-Hamas War में मौत की भेंट चढ़े हजारों नागरिक

इजराइल (Israel) और हमास के बीच छिड़े जंग को आज एक वर्ष पूरे हो गए हैं। इस दौरान दोनों के द्वारा क्या हासिल और क्या खोया की समीक्षा की जा रही है। बता दें कि इस आस्तित्व की लड़ाई के बीच दोनों तरफ से जनहानि खूब हुई। ये दोनों के लिए बुरा हासिल रहा। आंकड़ों के मुताबिक इजराइली सेना (IDF) ने अब तक 17000 से ज्यादा हमास (Hamas) के लड़ाकों को मारने की बात कही है। वहीं गाजा (Gaza) के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इजराइली हमलों में में 41000 से ज्यादा फिलिस्तीनी भी मारे गए हैं जो कि आम नागरिक थे।

आईडीएफ ने हमास (Israel-Hamas War) को निशाना बनाकर संगठन के चीफ इस्माइल हानिया (Ismail Haniyeh) को भी मार गिराया था जो कि उसके लिए सबसे बड़ा हासिल था। इजराइल की बात करें तो हमास के साथ छिड़े जंग में इसे भी हानि हुई। इजराइली सेना की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 7 अक्टूबर 2023 से अब तक देश के 728 सैनिक मारे जा चुके हैं। वहीं 4576 सैनिक जंग की चपेट में आने से घायल हुए हैं।

Israel-Hamas War के बीच अन्य देशों का दखल!

इजराइल और हमास के बीच छिड़े जंग का ने मिडिल इस्ट (Middle East) के अन्य देशों को भी जंग की आग में झोंक दिया। वर्तमान की बात करें तो जंग की आग अब गाजा पट्टी से आगे निकल कर ईरान और लेबनान (Lebanon) को अपने आगोश में ले चुकी है। गाजा में हमास पर हो रहे इजराइली हमले को ईरान औक लेबनान के चरमपंथी संगठन हिज्बुल्लाह का साथ मिला। हिज्बुल्लाह ने हमास के समर्थन में लेबनान के बॉर्डर से इजराइल के इलाकों पर बमबारी की जिससे 60000 से ज्यादा इजराइली नागरिक विस्थापित हुए।

इजराइल इस कार्रवाई से आग बबूला हो गया और IDF ने हमास को छोड़ लेबनान में छिपे हिज्बुल्लाह (Hezbollah) के ठिकानों पर हमला शुरू कर दिया। बीते 27 सितंबर को इजराइल ने हिज्बुल्लाह को बड़ा जख्म देते हुए संगठन के मुखिया हसन नसरल्लाह (Hasan Nasrallah) को मार गिराया। इसके बाद से लेबनान की राजधानी बेरूत (Beirut) समेत अन्य कई शहरों में मातम पसर गया। नसरल्लाह की मौत पर पसरा मातम लेबनान के अलावा सिरिया, ईरान समेत मिडिल इस्ट के अन्य कई देशों में भी पहुंचा।

नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान भी इस जंग में कूद पड़ा और अंतत: इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल (BM) दाग दिए। ईरान की ओर से ये कार्रवाई 2 अक्टूबर को देर रात की गई। ईरान द्वारा इजराइल पर किए हमलों के बाद इजराइल के साथ अमेरिका ने भी ईरान को परिणाम भुगतने की चेतावनी दे दी। वहीं ईरान को भी अन्य रूस की ओर से हथियार मिलने की खबर है। जबकि चीन भी अप्रत्यक्ष रूप से ईरान के पीछे खड़ा है। वहीं तुर्की, सुडान, सिरिया, इराक, इंडोनेशिया, सउदी अरब, कतर जैसे इस्लामिक देश अभी चुपी साध जंग के मूकदर्शन बने हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इजराइल और ईरान के बीच छिड़ी जंग का परिणाम क्या होता है?

तृतीय विश्व युद्ध के संकेत?

इजराइल और हमास (Israel-Hamas War) के बीच छिड़ी जंग का विस्तार तेजी से हो रहा है। धीरे-धीरे मिडिल इस्ट के कई देश इस जंग में दिलचस्पी प्रदर्शित कर रहे हैं। इजराइल-हमास के बाद अब जंग में हिज्बुल्लाह की एंट्री भी हो गई है। जबकि फिलिस्तीन भी नए सिरे से तैयारी में जुटा है। वहीं ईरान को अब चीन और रूस जैसे ताकतवार देशों का साथ मिलता नजर आ रहा है तो वहीं इजराइल के पीछे अमेरिका और ब्रिटेन जैसी शक्तियां खड़ी हैं। वहीं पिछले दो वर्षों से रूस-यूक्रेन के बीच भी जंग जारी है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि ये तृतीय विश्व (World-War 3) युद्ध के संकेत हैं और आगामी भविष्य में खुले तौर पर दुनिया के कई देश एक-दूसरे के खिलाफ जंग का ऐलान कर सकते हैं।

Israel ने Iran के तेल भंडार को निशाना बनाया तो भारत पर कैसे पड़ेगा असर?

बीते 2 अक्टूबर की रात ईरान द्वारा इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइल (BM) दागने के बाद इजराइल का कड़ा रूख नजर आया है। इजराइल अब ईरान के तेल भंडार और एयरबेस को निशाना साधने की तैयारी में है। यदि ऐसा होता है और इजराइल (Israel) सच में ईरान के तेल भंडार को निशाना बनाता है तो इससे भारत समेत दुनिया के कई देश प्रभावित होंगे। दावा किया जा रहा है कि इजराइल-ईरान (Israel-Iran War) जंग के कारण रणनीतिक लिहाज से कई महत्वपूर्ण रास्ते बंद हो सकते हैं जिससे ढुलाई के लिए भी लंबा रास्ता लेना पड़ेगा और लागत के साथ महंगाई बढ़ेगी।

कच्चे तेल के लिहाज से बात करें तो ईरान (Iran) दुनिया में तेल उत्पादक का सातवां सबसे बड़ा देश है। ईरान से चीन भी कच्चा तेल खरीदता है। ऐसे में यदि ईरान के तेल भंडार को इजराइल ने निशाना बनाया तो चीन कच्चा तेल खरीदने के लिए अन्य देशों का रूख करेगा जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक प्रतिष्पर्धा का दौर देखने को मिलेगा और तेल की कीमत प्रभावित होगी।

भारत की बात करें तो इजराइल के इस कदम से भारत को बहुत असर नहीं पड़ने की संभावना है। बता दें कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। उससे निपटने के लिए रूस ने अब भारत समेत दुनिया के कई देशों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से कम कीमत पर कच्चा तेल बेच रहा है। ऐसे में भारत के पास अभी कच्चा तेल खरीदने के लिए रूस खड़ा है। हालाकि इसके बावजूद इजराइल के अगले कदम से बाजार प्रभावित हो सकता है।

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