India-Middle East-Europe Corridor: जी20 समिट के बाद से भारत-मध्य पूर्व और यूरोप कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Corridor) सुर्खियों में बना हुआ है। कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसी बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस कॉरिडोर को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इजरायली लोगों के लिए इस गलियारे को एक महत्वपूर्ण अवसर बताया है। उन्होंने कहा कि यह गलियारा अब तक की उनकी सबसे बड़ी परियोजना होगी और यह आपसी सहयोग से आगे बढ़ेगी। उनका मानना है कि इस आर्थिक गलियारे के परिणामस्वरूप मध्य पूर्व और पूरी दुनिया बदल जाएगी।
इजराइल ने आर्थिक गलियारे को बताया गेम चेंजर
शनिवार देर रात एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने कहा कि “इजराइल एक अभूतपूर्व वैश्विक परियोजना का केंद्र होगा जो बुनियादी ढांचे को एशिया से यूरोप तक जोड़ेगा। मैं अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली और जर्मनी द्वारा दिए गए बयान की सराहना करता हूं।” नेतन्याहू की मानें तो इस परियोजना का इजराइल, मध्य पूर्व और बाकी दुनिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
इकोनॉमिक कॉरिडोर के विरोध में उतरा तुर्की
वहीं, दूसरी ओर तुर्की ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि उन्हें पता है कि कई देश व्यापार गलियारे बनाकर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, तुर्की के बिना कोई कॉरिडोर संभव नहीं है। दरअसल, तुर्की लौटने के बाद से एर्दोगन के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं। एर्दोगन ने सोमवार को मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा था, “हम कहते हैं कि तुर्की के बिना कोई कॉरिडोर नहीं है। तुर्की उत्पादन और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण देश है। पूर्व से पश्चिम तक यातायात के लिए सबसे सुविधाजनक लाइन तुर्की से होकर गुजरती है।” उनकी इन बातों से साफ है की वह इस प्रोजेक्ट से खुश नहीं हैं।
IMEEC से कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा
दरअसल, भारत की अध्यक्षता वाले G20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit 2023) में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC) परिवहन परियोजना को मंजूरी दी गई है। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल के माध्यम से यह गलियारा भारत को ग्रीस और यूरोप से जोड़ेगा। यह गलियारा तुर्की को बाईपास करते हुए बनाया जाएगा। अन्य G20 सदस्यों के साथ, यूरोपीय संघ, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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