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Nepal Political Crisis: नेपाल में फिर सियासी संकट गहराया, PM प्रचंड ने कतर दौरा किया रद्द

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Nepal Political Crisis: नेपाल एक बार फिर से एक बड़े राजनीतिक संकट की ओर चला गया है। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की पार्टी नेपाल यूनिफाइड मार्कसिस्ट लेननिस्ट CPN (UML) ने सोमवार को अचानक सत्ताधारी अलायंस से अलग होने का फैसला कर लिया। जिससे नेपाल में एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता खड़ी हो गई है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने 3 मार्च 2023 को कतर की राजधानी दोहा में होने वाले एक सम्मेलन का दौरा भी तुरंत रद्द कर दिया। जबकि आगामी 9 मार्च 2023 को नेपाल का नया राष्ट्रपति भी चुना जाना है।

जानें क्या है मामला

आपको बता दें अब से दो महीने पहले ही नेपाल में पीएम प्रचंड के नेतृत्व में गठबंधन सरकार ने सत्ता संभाली थी जिसमें पुष्प कमल दहल की माओवाद सेंट्रल तथा के पी शर्मा ओली की CPN (UML) के बीच यह तय हुआ था कि दोनों नेता ढाई-ढाई साल बारी-बारी से पीएम का पद संभालेंगे। इसी बीच आगामी 9 मार्च 2023 को नेपाल का राष्ट्रपति चुनाव होना है। इसी चुनाव में जहां प्रमुख विपक्षी शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा है वहीं के पी शर्मा ओली की CPN (UML) ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया था। चुनाव पूर्व राजनीतिक गतिविधियों में जहां CPN (UML) पीएम प्रचंड ने दो दिन पहले ही विपक्षी नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडियाल का समर्थन करने की घोषणा कर दी। इस घोषणा से हतप्रभ ओली की पार्टी प्रचंड पर भड़क गई और उसने सरकार के गठबंधन से बाहर आने की घोषणा कर दी।

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घटनाक्रम बताता है सरकार को नहीं खतरा

जिस तरह से दो महीने की सरकार में ही नेपाल के राष्ट्रपति चुनाव ने पूरा राजनीतिक गणित बदल कर रख दिया। उसके पीछे का कारण पूरी तरह योजनाबद्ध है। प्राप्त जानकारी के अनुसार नेपाली कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को जिताने की रणनीति के तहत 8 पार्टियों के नेताओं की एक टास्क फोर्स का गठन कर दिया था। प्रचंड की अगुवाई में इस टास्क फोर्स की बैठक उनके आधिकारिक निवास पर ही हुई थी। तो माना ये जा रहा है कि यदि 78 सीटों वाली ओली की पार्टी CPN (UML) सरकार से समर्थन वापस ले लेती है तो 89 सीटों वाली नेपाली कांग्रेस ने प्रचंड की सरकार को उनके राष्ट्रपति बनवाने के सौदे के तहत समर्थन कर देगी।

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