Rishi Sunak: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के महत्वपूर्ण विरोध के बाद, भारतीय छात्रों के पसंदीदा ग्रेजुएट रूट वीजा को कम करने की योजना को छोड़ने का फैसला किया है। गौरतलब है कि बीते दिनों प्रधान मंत्री Rishi Sunak ने वीजा की संख्या को सीमित करना का मन बनाया था। वहीं अब इस फैसले से भारतीय छात्रों के लिए राहत भरी खबर मानी जा सकती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऋषि सुनक ने अपना फैसला क्यों बदला। आईए जानते है इसके बारे में
क्या है ग्रेजुएट रूट वीजा
आपको बताते चले कि ग्रेजुएट रूट वीजा को यूके सरकार ने साल 2021 में पेश किया था। इस वीजा का मकसद विदेशी छात्रों का ग्रेजुएशन, पोस्टग्रेजुएशन या अन्य एलिजिबल कोर्सों के पूरा होने के बाद कम से कम 2 सालों तक यूके में रहने की अनुमति देता है वहीं पीएचडी और अन्य डॉक्टरेट योग्ता वाले लोगों के लिए यह 3 सालों तक के लिए होता है। गौरतलब है कि यह वीजा भारतीय छात्रों के लिए बेहद अहम है। मालूम हो कि यूके में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा समुदाय भारतीय है।
सुनक ने ग्रेजुएट रूट वीजा पर बदला अपना फैसला
●यूके के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में भारतीय छात्रों की एक बड़ी हिस्सेदारी है, और कुल स्नातक वीज़ा में से 40 प्रतिशत से अधिक उनके पास हैं। जिसके बाद सुनक ने अपना फैसला वापस लेना का फैसला लिया है।
●चांसलर जेरेमी हंट, विदेश सचिव डेविड कैमरन, गृह सचिव जेम्स क्लेवरली और शिक्षा सचिव गिलियन कीगन के हस्तक्षेप के बाद सुनक ने ग्रेजुएट रूट वीजा को कम करने की योजना को छोड़ दिया है।
●ब्रिटेन में भारतीय छात्रों और पूर्व छात्र समूहों ने स्नातक वीजा को बरकरार रखने के लिए मजबूत समर्थन जताया है और इन दावों को खारिज कर दिया है कि यह विदेशी छात्रों के लिए कम वेतन वाली नौकरियां हासिल करने का एक तरीका मात्र है।
गौरतलब है कि यूके के रचनात्मक उद्योग भी प्रतिभाशाली स्नातकों के संभावित नुकसान के बारे में अपनी नाराजगी जताई थी।