Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) एक बार फिर इंटरनेशनल मीडिया में छा गया है। इसकी वजह यह है, कि अमेरिका ने अब यूक्रेन को क्लस्टर बम देने का ऐलान कर दिया है। ख़बरों की मानें तो इसकी घोषणा शुक्रवार देर रात को ही तय कर दी गई थी। वहीं इस मामले पर अमेरिका के तीन सीनियर अधिकारियों ने बताया है कि हम यूक्रेन को वेपन पैकेज में क्लस्टर हथियार देने जा रहे हैं। इसके बाद जब यह खबर इंटरनेशनल मीडिया में फैली तो यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, न्यूजीलैंड और स्पेन जैसे देशों ने इन हथियारों के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की। उनका इस मामले पर कहना है कि अमेरिका को ऐसा नहीं करना चाहिए। क्लस्टर बम एक जानलेवा और घातक बमों की श्रेणी में आता है। इसके फटने मात्र से वहां के जमीन के परखच्चे उड़ जाते हैं। वहीं इस मामले पर अभी तक रूस की प्रतिक्रिया नहीं आई है।
क्लस्टर बम की खासियत जानें !
जानकारी के मुताबिक क्लस्टर बम के यूज़ से ज्यादा भयावह परिणाम देखने को मिलते है। यह एक शॉर्ट रेंज का सबसे घातक और खतरनाक बम माना जाता है। इसके उपयोग से निशाने पर लगाई गई टारगेट अभेद होती है। इसके कारण ही ‘डेथ रेट’ इसका और बमों के मुकाबले ज्यादा माना जाता है।
जानकारी के मुताबिक क्लस्टर बम एक ऐसा वेपन है, जिसे हवा में रिलीज करने पर उसमे कई छोटे-छोटे बम निकलते होते हैं। जिसके बाद यह टारगेट की हुई जगह को पूरी तरह से हर जगह फट कर तबाह कर देते है। ऐसे में अक्सर देखा गया है कि क्लस्टर बम के चपेट में आने वाले सभी लोग मारे जाते हैं। वहीं यह क्लस्टर बम लड़ाकू विमानों के जरिए आसमान से भी दागे जा सकते हैं। इसके अलावा इसे तोपों के जरिए जमीन से भी दागा जा सकता है।
वहीं इस बम के बारे में एक बात और भी कहा जाता है कि यह बम जिस जगह पर गिराया जाता है, उस समय तो कुछ बम ब्लास्ट हो जाते है लेकिन कुछ बम कई (दिनों-महीनों) बाद भी फटते हैं। ऐसे में निर्दोष लोग भी अक्सर इसकी चपेट में आकर मारे जाते हैं।
क्या सच में रूस पर भारी पड़ सकता है ‘क्लस्टर बम’
ख़बरों और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका, रशिया और यूक्रेन तीनों के पास क्लस्टर बमों का जखीरा है। ऐसे में देखा जाए तो तीनों ही देशों ने साल 2008 में हुए UN की संधि में क्लस्टर बमों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली बात को लेकर साफ़ मना कर दिया था और तब UN की इस संधि पर साइन नहीं किया था। तब से देखा जाए तो यह तीनों देश समय-समय पर इन घातक विनाशकारी बमों का इस्तेमाल करते है। इसके अलावा देखा जाए तो इन घातक बमों पर लगभग 100 से अधिक देशों में बैन किया जा चुका है।
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