US Dollar vs BRICS Currency: रूस (Russia) के कजान शहर में आयोजित 16वें BRICS Summit का समापन आज यानी 24 अक्टूबर को होना है। कजान (Kazan) में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने दुनिया के समक्ष चर्चा का एक नया विषय दे दिया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन (Vladimir Putin) ने ब्रिक्स देशों को अपनी-अपनी करेंसी में कारोबार करने पर जोर दिया है। इसके अलावा ब्रिक्स देशों की एक अलग करेंसी को लेकर भी चर्चा छिड़ी है। (US Dollar vs BRICS Currency)
दावा किया जा रहा है कि इस कदम से ब्रिक्स देश (BRICS Countries) अपनी करेंसी का जोर दुनिया में रखना चाह रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो ये अमेरिका (US) के लिए बड़ा झटका होगा और इसका असर Dollar के दबदबे पर पड़ता नजर आ सकेगा। हालाकि ऐसे आसार जताना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि ब्रिक्स मुद्रा कब जारी करेगा या नहीं करेगा, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
दुनिया में US Dollar का कितना दबदबा?
अमेरिकी डॉलर (US Dollar) की पहचान वैश्विक मुद्रा के रूप में है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बात करें तो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में डॉलर और यूरो काफी अहम हैं और इनकी स्वीकार्यता अन्य की तुलना में ज्यादा है। आंकड़े के मुताबिक दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 65 फीसदी से ज्यादा अमरीकी डॉलर हैं। डॉलर की मजबूती अमेरीका के अर्थव्यवस्था को दर्शाती है और इसके दबदबे का प्रतीक है।
अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार की बात करें तो इसमें भी डॉलर का प्रभुत्व नजर आता है। वर्ष 2023 से पहले तक लगभग 100 फीसदी पेट्रोलियम का कारोबार अमेरिकी डॉलर में किया जाता था। हालाकि बीतते समय के साथ ये तस्वीर बदली और तेल व्यापार का करीब पांचवां हिस्सा यानी 20 फीसदी गैर अमेरिकी मुद्राओं से किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय तेज बाजार के अलावा अन्य ज्यादातर देशों में भी आयात-निर्यात के लिए डॉलर के रूप में ही भुगतान किया जाता है। ऐसे में यदि ब्रिक्स देशों की ओर से एक वैकल्पिक मुद्रा लाई गई तो इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को तगड़ा नुकसान पहुंच सकता है और असर डॉलर के दबदबे पर पड़ सकता है।
US Dollar vs BRICS Currency को लेकर क्यों छिड़ी चर्चा?
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सदस्य देशों को अपनी करेंसी पर जोर देने का सुझाव दिया। इसके अलावा ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन, साउथ अफ्रिका) द्वारा अपनी करेंसी की संभावना तलाशने की भी बात सामने आई।
बता दें कि ब्रिक्स देश, मिडिल इस्ट (Middle East) में उपजे संघर्ष को लेकर सतर्क हैं। दावा किया जा रहा है कि मिडिल इस्ट में छिड़ी जंग के कारण आगामी समय में वैश्विक वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि अमेरिकी डॉलर और यूरो पर वैश्विक निर्भरता को कम करने के लिए ब्रिक्स देश अपनी करेंसी पर जोर देने की बात कह रहे हैं।
तमाम कयासबाजी से इतर हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि ब्रिक्स करेंसी को लेकर अभी किसी तरह की आधिकारिक जानकारी नहीं सामने आई है। ऐसे में ये कहना जल्दबाजी होगी कि ब्रिक्स देश अपनी करेंसी लॉन्च कर सकते हैं या वैश्विक बाजार में लाने की योजना बना रहे हैं। हालाकि ब्रिक्स करेंसी को लेकर छिड़ी गहमा-गहमी ने दुनिया के समक्ष चर्चा का एक नया और असरदार मुद्दा अवश्य दे दिया जिस पर सबकी निगाहें टिकी नजर आ रही हैं।