US On LAC: अमेरिका ने भारत के साथ दोस्ती निभाते हुए एक बार फिर चीन को करारा जवाब दिया है। भारत और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव को लेकर अमेरिका ने चिंता जताई है। वहीं अमेरिका ने बुधवार को अरूणाचल प्रदेश और चीन के बॉर्डर के समीप बने मैकमोहन लाइन को अब अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर के तौर पर मान्यता प्रदान कर दिया है। अमेरिका ने मान्यता देने के बाद कहा है कि “अरुणाचल प्रदेश भारत का ही हिस्सा है। चीन जबरदस्ती तरीके से इस पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है, जिसे हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” बता दें कि बुधवार को अमेरिकी संसद भवन में एक प्रस्ताव पारित हुआ, इस प्रस्ताव में अमेरिका ने खुलकर भारत का समर्थन किया है और चीन को धमकी भी दिया है।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में खतरा बढ़ा रहा है चीन
अमरीकी सीनेट में बुधवार को एक बैठक हुई जिसमें भारत और चीन के विवाद को लेकर कई तरह के प्रस्ताव पारित हुए। इस प्रस्ताव को सीनेटर जेफ मर्कले ने सबके सामने रखा। इस दौरान सीनेटर बिल हैगर्टी ने कहा कि ” चीन लगातार हिंद प्रशांत क्षेत्रों पर खतरा उत्पन्न कर रहा है साथ ही वहां पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में अमेरिका की ये जिम्मेदारी है कि वह भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे और चीन को मुहतोड़ जवाब देने में मदद करें।”
वहीं मैक मोहन लाइन को मान्यता देते हुए अमेरिका की तरफ से ये कहा गया कि अरुणाचल प्रदेश प्रदेश आज से नहीं बल्कि काफी समय से भारत का हिस्सा है। ऐसे में चीन इस लाइन के समीप अपना अधिपत्य जमाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में हम चाहते हैं कि इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में जल्द से जल्द शांति व्यवस्था स्थापित हो। अमेरिका सभी तरह से इसके लिए समझौता करवाने के लिए तैयार हैं।
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चीन बॉर्डर के समीप करता है हरकत
अमेरिका में जारी इस प्रस्ताव में ये कहा गया है कि चीन हमेशा सीमावर्ती क्षेत्रों पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है। आए दिन भारत के सैनिकों से चीन की झड़प होती रहती है। ऐसे में अब मैक मोहन रेखा को अमेरिका के द्वारा मान्यता दिए जाने के बाद चीन की बौखलाहट भी सामने आई है। चीन की तरफ से यह कहा गया है कि अमेरिका को कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए।
आखिर क्या है मैकमोहन रेखा का विवाद
मैकमोहन रेखा का विवाद काफी पुराण है। बताया जाता है कि चीन अरुणाचल प्रदेश के समीप स्थित तवांग को तिब्बत का हिस्सा मनाता है। चीन ने कई मौके पर ये कहा है कि तवांग के लोग बिल्कुल चीन की तरह ही सभी चीजों को मानते हैं। ऐसे में इस हिस्से को चीन को दे देना चाहिए।
वहीं साल 1914 में ब्रिटिश हुकूमत ने एक समझौता करवाया था इस समझौते में कहा गया था कि अरुणाचल प्रदेश का दक्षिणी हिस्सा भारत के समीप है इसलिए ये भारत के अधिपत्य में रहेगा। वहीं चीन इस समझौते को लेकर काफी लंबे समय से अपना ऐतराज जता रहा है। चीन कभी भी इस समझौते में बने मैक मोहन रेखा को नहीं मनाता है।
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